जिस घर की चारदीवारी में मिल जाये एक संसार
वही घर कहलाता है एक सुनहरा परिवार
जिस घर में माँ बच्चों को संस्कारों से सजाती है
बुराई पर अच्छाई की जीत समझाती है
जिस घर में बच्चे पिता को भगवान सा पूजते हैं
पिता की आज्ञा में ही अपने कर्म ढूंढते हैं
जिस घर में भाई भाई में बस स्नेह पनपता है
हर छोटा भाई लक्ष्मण जैसा आदर हृदय में धरता है
जिस घर की बेटी और बेटा मर्यादा में रहते हैं
अपने कुल की कीर्ति खातिर बस सुकर्म ही करते हैं
आज के युग में बड़ा है मुश्किल खोजना ये संसार
केवल भारतबर्ष में मिलते हैं ऐसे परिवार
~ शंकर फ़र्रुखाबादी