वेदना

वेदना

कलमकार संजय वर्मा “दॄष्टि” की रचना- वेदना; हम इंसानों को अपनी तकलीफ बहुत बड़ी लगती है जबकि हमारे द्वारा अन्य जीव-जंतुओं को अनजाने में ही अनेक कष्ट पहुंचाया जाता है। उनकी भी तकलीफ को कम करना हमारा ही कर्तव्य है।

ना घर, ना घौंसला
मुंडेरो और कुछ बचे पेड़ों पर
बैठकर गौरय्या ये सोच रही कि
इंसानों को रहने के लिए
कुछ तो है मेरे देश मे
सीमेंट कांक्रीट के मकान होने से
क्या मेरे लिए कुछ भी नहीं है
मेरे शहर मे।

ची-ची बोल के
बुद्दिजीवी इंसानों से
कह रही हो जैसे
इंसानों के हितो के साथ
हमारे हितों का भी ध्यान रखो
क्योकि हम गौरय्या पक्षी है।
कई प्रकार के विकिरण के प्रभाव से
वैसे ही हमारी प्रजाति कम हो रही है

नहीं तो गाते रह जाओगे
छु न -छु न करती आई चिड़िया
दाल का दाना ले चिड़िया।
और यही सवाल अनुतरित बन
रह जायेगा महज किताबों मे
और नन्हे बच्चों के दिलो में

~ संजय वर्मा “दॄष्टि”

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.