चेहरे की मुस्कान हमेशा अच्छी लगती है, जो दूसरों को भी खिलखिलाने के लिए विवश कर ही देती हैं। साकेत हिन्द ने ‘मुस्कान’ को अपनी पंक्तियों में कुछ इस तरह पेश किया है।
अच्छी लगती है हर चेहरे पर मुस्कान
होतीं हैं खुशियों का जायका और मकान
देखकर इसे खुश हो जाते लोग अनजान
भेद मिटाती और जताती सब हैं एक समान
शरीर को बनाती उत्साही और ऊर्जावान
सफल संवाद की भी होती है पहचान
हंसी ठिठोली की शुरुआत है मुस्कान
बिना किसी दाम के मिलती है मुस्कान
कई बहानों से हमसे मिल जाती है
बनकर आशीष, जीत, तृप्ति आती है
स्वाभिमान, गर्व, उन्नति झलकाती है
हार, दंभ, टीस और दर्द को भूलाती है
किसी की बस याद आने पर
चंद मीठी बातें किसी की सुनकर
जाने-अनजानों की खुशी देख कर
झट से मुस्कान आती है चेहरे पर
होती है यह बोली और भाषा से अज्ञान
किंतु, अनकही बातें कहतीं हैं मंद मुस्कान
रोष, ईर्ष्या, प्रतिकार, वेदना का अकारण
ही कभी-कभी बन जातीं हैं कारण
‘सदा मुस्कुराते रहो’ का वरदान
देते स्नेही प्रियजन और सुजान
सफलता का मूल मंत्र है मुस्कान
तो मुस्कुराते रहो, जो है आसान~ साकेत हिन्द