मिट्टी

मिट्टी

माटी से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति दूसरों की कद्र करता है। वह वहां की कला, संस्कृति और भाषा को सम्मान दिलाने में सदैव आगे होता है। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी की पंक्तियाँ पढें जो मिट्टी और इसके कद्रदानों की महानता वयक्त करती हैं।

मिट्टी कहने को तो सरल चीज है
लेकिन मिट्टी का बड़ा असर है।
जो व्यक्ति मिट्टी से जुड़ा होता है।
उसमें उसकी संस्कृति का वास होता है ।
वह व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से कुछ अलग होता है।
उसकी वाणी में सुभाष होता है।
दिलों में मिट्टी के जज्बात होता है।
उसे अपने इतिहास का भास होता है।
वही तो जग में विख्यात होता है।
भिखारी ठाकुर भी अपने मिट्टी से जुड़े थे ।
रेणु की भाषा लोक संस्कृति से जुड़ी थी।
जो अपने देश की मिट्टी से कट जाता है।
अपनी संस्कृति सभ्यता से कट जाता है।
वह रास्ते से राही भटक कर रह जाता है।
अपने देश की मिट्टी से जुड़ना जरूरी है।
देश के उत्तम सुव्यवस्थित विकास के लिए
सभ्यता संस्कृति की पहचान के लिए।
रीति रिवाज परम्परा के ज्ञान के लिए।
अपनी अस्मिता के पहचान के लिए।

~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त

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