जीवन है तो संघर्ष भी होगा। बिना संघर्ष का जीवन निरर्थक ही होगा। इसी संघर्ष पर कलमकार सविता मिश्रा ने अपने विचार इन पंक्तियों द्वारा जाहीर किए हैं।
जीवन और संघर्ष
इनका तो चोली
दामन का साथ है
जीवन है तो
संघर्ष है
संघर्ष में ही
जीवन है ।
इंसान पैदा होने से
मृत्यु तक
हर वक्त
संघर्ष रत
होता है ।
संघर्ष ही प्रेरणा है
संघर्ष के बदौलत ही
नये नये आयामहासिल होते हैं
जीवन तो ख्वाहिश
का जंगल है
जिसका न ओर है
न छोर है
एक मुकम्मल हुई नहीं के
दूसरी जनम ले लेती
फिर शुरू होता
संघर्षों का दौर
जीवन गर शाश्वत है
तो संघर्ष भी उस का
अंश है।~ सविता मिश्रा