बीते वर्ष की कुछ उपलब्धियों और यादों को कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने अपनी कलम से इस कविता में उजागर करने का प्रयास किया है। साल २०१९ में हमने काफी कुछ होगा और बहुत कुछ पाया भी होगा; अब वे सब हमारी स्मृतियों में सदैव के लिए अंकित हो गए हैं।
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।
मन-मानस में तरह तरह के भ्रम वहम दे गया।
किसे याद करें किसे भूल जाए आत्ममंथन का यह विषय दे गया।
कभी मोदी-योगी का वह प्रचंड बहुमत याद आता है।
तो कभी धारा तीन सौ सत्तर और पैतीस ए की याद दिलाता है।
सारे शिकवे और सारे गम दे गया, बीता साल ये भरम दे गया।
कभी तीन तलाक पर बहस तो कभी पुलवामा काण्ड दे गया।
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।अटल जेटली तो सुषमा स्वराज को हमसे ले गया।
मन-मानस में तरह तरह के भ्रम वहम दे गया।
राम मंदिर मुद्दे पर हमें यह अच्छी नसीहत दे गया।
कैब एन आर सी पर देश जलाने का सबब दे गया।
जाते जाते सत्तानसीनों सरयू की धारा में रघुवर को डूबकी दे गया।
बीता साल कुछ खुशियाँ तो कुछ वहम दे गया।~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त शिक्षक ” मीर”
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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