वर्तमान को, भविष्य को
भूत के इतिहास को
सजोये हुई है ये किताबें।
वतन के परवानों को
प्रेम के दीवानों को
सजोये हुई है ये किताबें।
वेदों को, शास्त्रों को
बड़े-बड़े महाकाव्यों को
सजोये हुई है ये किताबें।
कृष्ण के मीरा को
तुलसी के राम को
सजोये हुई है ये किताबें।
रसो को, अलंकारों को
लेखन की विधाओं को
सजोये हुई है ये किताबें।
प्रकृति के नियमों को
पृथ्वी की जैवविविधताओ को
सजोये हुई है ये किताबें।
दुनिया के इंसानों को
उनके तौर तरीको को
सजोये हुई है ये किताबें।
जीवन जीने की सार्थकता को
ना जीने की विवशता को
सजोये हुई है ये किताबें।
– शिवम तिवारी