चेहरे ये मुखौटे हैं

चेहरे ये मुखौटे हैं

दशहरे के पावन पर्व पर अभिनेता आयुष्मान खुराना ने एक सुंदर कविता प्रस्तुत की थी जिसे सोशल मीडिया पर प्रसंशकों ने खूब सराहा है। आयुष्मान ने अनेक कविताओं की रचना की है, उन्हीं में से एक है- मुखौटे।

चेहरे ये मुखौटे हैं,
मुखौटे ही तो चेहरे हैं।
अंदर का राम जला दिया
कैसे उल्टे पड़े दशहरे हैं।
अपनी ही आवाज सुन न पाएं,
पूर्ण रूप से बहरे हैं।

मन की नदी उफान प न सकी,
पर हम दिखते कितने गहरे हैं।
ये मुखौटे कोई उतार ना ले,
लगा दिए लखन पहरें हैं।
चेहरे ये मुखौटे हैं,
मुखौटे ही तो चेहरे हैं।

~ आयुष्मान खुराना
साभार: TWITTER/@AYUSHMANNK – Shared on October 7, 2019

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