कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता है

कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता है

कुछ पाने की खातिर कुछ खोना पड़ता है
मुश्किल राहों से भी दो चार होना पड़ता है

यूँ ही नहीं मिलती आसानी से कोई मंजिल
मंजिल पाने के लिए मीलों चलना पड़ता है

भाग्य भरोसे बैठने से किस्मत नहीं चमकती
हीरे को चमकाने के लिए घिसना पड़ता है

सबके बस की बात नहीं तीर निशाने पर छोड़े
लक्ष्य भेदने के लिये अर्जुन बनना पड़ता है

इतना सरल नहीं होता है ईश्वर को पा जाना
भक्ति साधना मेँ लीन प्रहलाद बनना पड़ता है

सहज नहीं विषम परिस्थितियों में धैर्य रखना
बाजी अपनी हारे तो युधिष्ठिर बनना पड़ता है

पिता की आज्ञा से कोई छोड़ता नहीं सिंहासन
राज सुख त्यागने के लिए राम बनना पड़ता है

सिंहासन के खातिर अपनों का खून कर देते है
पाकर गद्दी छोड़ने के लिए भरत बनना पड़ता है

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