वैलेंटाइन सप्ताह में इससे जुड़ी हुई कुछ काव्य पंक्तियाँ कलमकारों ने प्रस्तुत की हैं और उन्हीं में से एक है इमरान संभलशाही की ‘वैलेंटाइन वीक’। कइयों के जीवन में यह सप्ताह उनके सच्चे जीवनसाथी से परिचय करा देता है।
कुछ “गुलाब” दिए, कितने फिरते रहे
मन में मुहब्बत का रंग सिलते रहे“इज़हार-ए-मुहब्बत” के आस में खड़े
अंखियों से अंखियां भर मिलते रहेख़ुद का पता नहीं “चाकलेट” खरीद लिए
लिए हाथ में इधर उधर डुलते रहेदुकान दुकान तरास तरास “टेडी” लिए
दिन भर लिए हाथ में सम्हलते रहे“प्रोमिस” तो वादा हो गई मुहब्बत की
हाय! “किस” ख्वाबों में बूंद सा गिरते रहेमलते नैन में करेजा “वेलेंटाइन” हो गया
दिल के हजार टुकड़े बन चिरते रहेइमरान तेरी मुहब्बत का क्या हुआ?
जवाब में, घंटे ही घंटे बस हिलते रहे~ इमरान संभलशाही
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