लहराओ तिरंगा

लहराओ तिरंगा

कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने चंद स्वरचित पंक्तियाँ भारतीय गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में ‘लहराओ तिरंगा’ कविता में लिखी और हम सभी को इस महापर्व की शुभकामनाएं दी हैं।

लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा गणतंत्र हुआ है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि देश हमारा स्वतंत्र हुआ है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश में लोकतंत्र है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा।
कि अब देश साम्प्रदायिक नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश असहिष्णु नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में न्याय सस्ता है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में कट्टरता नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सर्वधर्म समभाव है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब बेटियां सुरक्षित है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सैनिक मारे नहीं जाते हैं।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सब पढ़ और बढ़ रहे हैं।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब निरक्षरता दूर हो गयी है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में गरीबी नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश में भूखमरी नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाई भतीजावाद नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब जातिवाद, क्षेत्रवाद नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब भाईचारा, सद्भावना है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब सनकी शासक नहीं है।
लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा
कि अब देश विश्वगुरू पुनः बना है।

~ डॉ कन्हैया लाल गुप्त

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