हम दीप जलाएं

गर दीप ही जलाना है हमको
तो पहले प्रेम की बाती लाएं
घी डालें उसमें राष्ट्र भक्ति का
आओ मिल कर दीप जलाएं।

जाति पांती वर्ग भेद भुलाकर
हम हर मानव को गले लगाएं
राष्ट्र में स्थापित हो समरसता
आओ मिल कर दीप जलाएं।

भुलाकर नफ़रत को अब हम
दया, प्रेम और सौहार्द बढ़ाएं
हो अमन, प्रेम और मानवता
आओ मिल कर दीप जलाएं।

दीन दुखी पिछड़े तबकों को
हाथ पकड़ हम साथ में लाएं
ना भूखा सोए एक मुसाफिर
आओ मिल कर दीप जलाएं।

जब देश में कोई विपदा आए
हम सब हाथ से हाथ मिलाएं
गाएं हम सब मिल राष्ट्र वंदना
आओ मिल कर दीप जलाएं।

नापाक ताकतें तोड़ेंगी हमको
हम नहीं उनकी बातों में आएं
हम हैं हिंद देश के हिन्दुस्तानी
आओ मिल कर दीप जलाएं।

~ देवकरण गंडास “अरविन्द”


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