दौलतमंद

दौलतमंद

बड़े सौभाग्य से मानव तन प्राप्त हुआ है, इसे व्यर्थ न जाने देना चाहिए। आजकल इंसान की मानसिकता इतनी बदली हुई है कि वे बहुत चापलूस और स्वार्थी बन गए हैं। सत्कार और आदर भी लोगों की पूंजी देखकर किया जा रहा है। अमित मिश्र ने अपनी रचना में इन्हीं बातों को रेखांकित किया है।

लोग पूजते हैं उनको, दौलत है जिनके पास,
यही देख कर आज मेरा दिल है बहुत उदास।

हर पल करते जी हुजूरी, देते हैं उनका साथ,
उनके चरणों में ही दिखता धरती आकाश।

गुनाह भी उनका, अब पुण्य दिखने लगा है
हर करतूत उनकी अब आने लगी है रास।

भाई भाई में यहाँ, अब तो बैर होने लगी है,
अपनों की फिकर नहीं गैरो पर है विश्वास।

कदम जिस राह पर तेरे, उसका इल्म नहीं,
अब भी देर नहीं जागो जीवन करो न नाश।

यह जीवन मिला है, इसको तुम सिद्ध करो,
अपनी काली करतूतों का ज्ञान तुझे हो काश।

कुछ तो दया धर्म करो, न जीवन करो खराब,
यह मानुष तन मिलता है कुछ लोगों को खास।

~ अमित मिश्र

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/441443103429534
Post Code: #SWARACHIT239

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.