हर रिश्ते को कोई न कोई नाम दिया गया है किंतु कई रिश्ते ऐसे हैं जिनका कोई नाम नहीं है लेकिन वे बहुत खास होते हैं।
कलमकार सुनील कुमार की यह रचना पढें।
कुछ रिश्ते जो खून के रिश्तों
से भी बढ़कर नजर आते हैं
एहसास अपनेपन का कराते हैं
बताओ वो रिश्ते क्या कहलाते हैं।
बात दिल की बिना कहे ही समझ जाते हैं
सुख दुःख दोनों में साथ निभाते हैं
बताओ वो रिश्तें क्या कहलाते हैं।
दवा हर दर्द की बन जाते हैं
मरहम जख्म पर लगाते हैं
सुकून दिल को पहुंचाते हैं
बताओ वो रिश्ते क्या कहलाते हैं।
मेरे रोने पर रोते हैं
मेरे हंसने पर मुस्कुराते हैं
बताओ वो रिश्ते क्या कहलाते हैं।~ सुनील कुमार