समझ नही आ रहा मुझे
आज क्या खास लिखूं।
कुछ अलग लिखूं आज
या रोज की तरह बकवास लिखूं।
ये कोरोना के मौत का कहर लिखूं
या चाइना द्वारा फैलाया जहर लिखूं।
सेनेटाइजर से लोगों का प्यार लिखूं
या मास्क के लिये लोगों का मार लिखूं।
डॉक्टरस के लिये दिल से सलाम लिखूं
या स्कूल कॉलेज वालों का आराम लिखूं।
वर्दी वाले का निडर निस्वार्थ काम लिखूं
या लोगों का डर सरे आम लिखूं।
फैलाये गए अपवाहें तमाम लिखूं
या अब तक की कोशिशें नाकाम लिखूं।
बस कुछ दिनों का ये खौफ लिखूं
या आने वाले सुकून की शाम लिखूं।
कोरोना से डरो ना मजबूती से लड़ों ना
हर पल सावधानी भरा ये पैगाम लिखूं।
भूला तो नहीं दिये इस ‘वीर’ को
या फिर से अपना नाम लिखूं।
~ वीर अग्रवाल ‘वीरू’