ये कैसा वक़्त आया है
कोरोना संग लाया है,
मना सड़को पर जाना है
बना घर कैदखाना है,
अजब अदृश्य दुश्मन है
इसे मिलकर हराना है,
रखकर हौसला हिम्मत
हमें जंग जीत जाना है,
सुरक्षित स्वमं को रखकर
हमें सबको बचाना है
ये ऐसी रेस है जिसमें
ठहर कर जीत जाना है,
ये मुश्किल दौर है यारों
इसे भी बीत जाना है..!!
~ मनीष दिवाकर