कैसा ये वक़्त

कैसा ये वक़्त

कैसा ये अब वक्त आया है
इंसान से इंसान घबराया है।

स्वास्थ्य एक अनमोल ख़ज़ाना
पर लापरवाही को आजमाया है।

सेवा में जो लोग लगे दिन रात
उनका बलिदान समझ न पाया हैं।

अगर अभी भी समझ ना पाए
हो सकता कल को पड़े पछताना,

जोखिम में जान पर सेवा करते
फ़र्ज़ एवं सहयोग काम आया है।

डॉक्टर, पुलिस व दानी फरिश्ते बन
एक हो कर सबने चमन बचाया है।

लक्ष्मण रेखा जो बनाई सरकार ने
इस पैगाम को घर घर पहुंचाया हैं।

कोरोना वायरस चीन ने फैलाया है
सारा विश्व त्राहि त्राहि मचाया है।

~ मुकेश बिस्सा

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