माँ का बिछड़ना बहुत ही कष्टदायी होता है। केवल उसकी यादें ही हमें उसके पास बांधे रखती है और हम इस बंधन से मुक्त भी नहीं होना चाहते हैं। कलमकार खेम चन्द भी माँ से जुदाई का दर्द अपनी कविता में किया है।
बिन माँ के सुनसान सा लगता है मुझे ये जहान
खाली-खाली सा लगता है जहाँ हंसती थी मेरी खुशीयाँ वो वाला मकान॥
ना जाने क्यों वक्त के साथ रहने लगा है अब वक्त भी परेशान
कहाँ मिलेगी ममता की देवी बता दो वो वाली दूकान॥
बरसात हो या हो चाहे चक्रवात, आंधी, तूफान
माँ कि ममता ने छोड़े हैं जिन्दगी में अपने निशान॥
कर लूंगा खुद को खुशीयों से भी जुदा
बचपन में किसी से माँ ना छिनना मेरे खुदा॥
मिलती कितनी परेशानियां सफर में यहाँ
जहाँ धूप में चल न सका याद आई माँ मुझे वहां॥~ खेम चन्द
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