गीत तभी हम बोते हैं

गीत तभी हम बोते हैं

रागिनी स्वर्णकार ने लिखा है कि जब आँखों में आँसू और वेदना का एहसास हो तो कलम द्वारा गीत रूपी रचनाओं का जन्म होता है।

पीर कलम में,
अश्रु नयन में होते हैं!
गीत तभी हम बोते हैं!

 

चातक सी जब प्यास जगे
जब चकोर सी आस सजे
विरहित साँसों की डोरी में
मोती से शब्द पिरोते हैं!
गीत तभी हम बोते हैं!

 

पीर कलम में
अश्रु नयन में होते हैं!
गीत तभी हम बोते हैं!

 

स्पंदन में याद मचलतीं,
तब प्राणों में प्रीत है ढलती,
मधुमास खोजते पतझर
मौन धैर्य जब खोते हैं!
गीत तभी हम बोते हैं!

 

पीर कलम में
अश्रु नयन में होते हैं!
गीत तभी हम बोते हैं!

 

~ रागिनी स्वर्णकार

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