घर का चूल्हा बहुत उदास
रह रह पूछे एक सवाल।
कब आएगा राशन पानी
कब आएंगे चावल दाल।।
घर की अम्मा समझाती है,
सो जा भोले कल आयेंगे।
जागेगी सरकारें एक दिन,
खाने वाले पल आयेंगे।।
लेकिन सुबह शाम हो बीती,
नहीं कोई चिठ्ठी खबर मजाल।
कब आयेगा राशन पानी
कब आयेंगें चावल दाल।।
कोरोना का है डर ऐसा,
दिन लगता है रातों जैसा।
सब लौटे है अब अपनों में,
लगता बीती बातों जैसा।।
सिमट रहे हैं दिल-दरवाजे
वक्त हो रहा अमन विकराल।
कब आएगा राशन पानी,
कब आएंगे चावल दाल।।
~ मुकेश बोहरा अमन