वह कौन है? जानने की इच्छा हर किसी के मन होती है। जिसकी आहट से दिल में दस्तक होने लगती है, आखिर! वह कौन है? कलमकार प्रीति शर्मा ने ऐसे ही सवाल अपनी कविता में पूछें हैं।

अनगिनत लहरें आती है।
बहा के मुझे अनंत में ले जाती है।
यह कौन?
उस शून्य से पुकारता है मुझे।
यह कौन?
उस राह से निहारता है मुझे।
यह कौन?
गीत के सुरों में सजाता है मुझे।
यह कौन?
हवाओ के झोंके-सा सहलाता है मुझे।

उस ओर से आने वाले पंछी कुछ कहते है।
बादलों के झुरमुट भी कुछ बुदबुदाते है।
पपीहे के इस दर्द भरे स्वर में,
किसकी चित्कार है छुपी?

यह कौन?
किरणों को बिखेर,
सपनों से जगा जाता है मुझे।
यह कौन?
दे दे के थपकियां,
सुला जाता है मुझे।

यह कौन?
यह कौन हाथ पकड़,
मंजिल तक पहुंचाता है मुझे

यह कौन?
मेरा हो, मुझ में ठहर जाता है।
एक धुंध सी बन समा जाता है।
मेरे भीतर से यह कौन मुझे बुलाता है।
मेरे भीतर से यह कौन मुझे बुलाता है।

~ प्रीति शर्मा “असीम”


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