किसे गलत कहें, किसे कहें सही,
सब ही तो अपने हैं।
हम हैं गलत किसी के लिए
कोई है हमें सही मानता
ठीक उसी तरह
हम किसी को हैं गलत ठहराते
जो है दूसरों का चहीता।
हम रूठ जाते हैं उनसे
उन्हें भी है हमसे गिला
वे हमसे शिकवा करते नहीं
हमें बात रखने का मौका न मिला।
दिल में पनपने लगी दूरियाँ
बढ़कर जिसने छोड़ा हमें दो किनारों पर
अब देख सकते हैं उन्हें उस पार
जिनसे मुलाक़ात है मौक़ा हुआ दरकिनार।
इस हालात की सिर्फ़ एक वज़ह
हमने उन्हें गलत समझा, हमें उन्होने
दरअसल, दोनों ही सही थे अपनी जगह
एक दूसरे को ही न समझ पाए
और दो अलग किनारों पर चल दिए।