सावधान क्यों नहीं?

हम लोग आज भी ना, सावधानी बरत रहें
कोरोना से, लड़ना भी है
जान सबकी, जोखिम में है
फिर भी इंसान बेखबर सा है।

क्या आप सबको जान प्यारी नहीं?
अपनी नहीं, दूसरों की सही
विश्व जहाँ त्राही मम, त्राही मम
हो रहा, क्यों आपसब ने
अब तक ना समझा?

जीवन अमूल्य है
उसका बचाव करो
मानों बातें, कोरोना को अस्वीकार करो
कदम मिलाओ कोरोना सेनानियों से
उबर पाऐंगे हम सब, तब इस आँधी से।

मर रहे डाक्टर, मर रहे नर्स
हमसब उसका रख-रखाव करो
सावधान करो, सावधान रहो
मुश्किलें, दिक्कते आती है जीवन में
एक परिवार बनकर, भारतवासी
इस आँधी को, स्वीकार करो।

आँधी के बाद, एक सुनहरा सुबह का आगमन
इंतजार कर रहा
सब साथ रहो, यह है कह रहा
जान के लाले, आन पडी़
भयंकर दुश्मन, बिना अस्त्र के
हम सब पर वाण है, फेंक रही।

पूरा विश्व की, स्थिति हम सबको
एक सीख दे रही
पर हमसब, कर रहे अब भी लापरवाही
बरतो सावधानी, ना होगी कोई परेशानी।

क्या तुम सब, मानव नहीं?
क्या विवेक, बुद्धि सब भ्रष्ट हो गयी?
क्यों सावधानी नहीं?
क्यों तुम सब कर रहे, इतनी लापरवाही?

~ पूजा कुमारी साव


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.