हम कभी-कभी सोचते हैं कि जिसे हम चाहते हैं वह हमारी फिक्र करता है या नहीं। कलमकार पूनम भारती की इन पंक्तियों में ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं, आप भी पढें।
वो जो रिश्ते मुझमें घुले ही नहीं
उन्हें क्यूं फिकर हम भूले कि नहीं।वो जो बाते बातों में खुले ही नहीं
उन्हें क्यूं फिकर हम भूले कि नहीं।कुछ अश्क बातों में घुल रहे,
कुछ रंज होले से धुल रहे।वो जो रंज अश्को में धुले ही नहीं
उन्हें क्यूं फिकर हम भूले कि नहीं।~ पूनम भारती