चाहता सबका भला हूँ

चाहता सबका भला हूँ

दूसरों का बुरा चाहने वालों के मन कपट भरा हुआ होता है और उनकी सफलता की राह में बहुत से रोड़े मिलेंगे। यदि हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं तो सफलता भी हमसे दूर नहीं रह पाती है। कलमकार अजय प्रसाद जी लिखते हैं कि चाहता सबका मैं भला हूँ।

हादसों के बीच पला हूँ
खुद के लिए ही बला हूँ।

नूर यूँ ही नहीं है चेह्रे पे
हँस कर गमों को छला हूँ।

मन्नतें कभी पूरी हूई नहीं
दुआओं को भी खला हूँ।

छाछ हूँ फूँक कर पीता
यारों मैं दुध का जला हूँ।

मंज़िल कि है तलाश मुझे
अकेले ही सफर पे चला हूँ।

हाँ, इक बुरी लत है मुझमें
चाहता सबका मैं भला हूँ।

~ अजय प्रसाद

Post Code: #SWARCHIT356

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.