कलमकार अनिरुद्ध तिवारी स्त्री के बारे में लिखते हैं कि वह सशक्त भी है और सुंदर भी। उनमें ममता, प्रेम, लज्जा, मर्यादा और ज़िम्मेदारी बहुत है। सहन करने कि शक्ति भी है और सच का आईना दिखने का गुण भी है।
देख रहा हूं तुम्हारी आंखों को
नजरों में तुम्हारा किरदार छुपा है,
सच कह रहा हूं!
पूछ लो अपने पलकों से!
पलकें गवाह है, इस हया की।
तुम्हारे मासूम चेहरे पर
जो जुल्फों का पहरा है,
सच कह रहा हू!
दिल तो हमारा वही ठहरा है!
और हां!
ये जो प्रेम का लिबास तुमने पहना है,
मालूम है तुम्हें!
एक स्त्री का सुंदर गहना है,
ये तुम्हारी सिर्फ सुंदर छवि नहीं!
ये तो ममता, प्रेम लज्जा, स्वतंत्रता, मर्यादा
और जननी का स्वरूप है ।
जो एक प्राण होते हुए भी
कई दायित्वों एवं किरदारों को निभाती आई है।~ अनिरुद्ध तिवारी