नारीत्व मेरी पहचान

गोपेंद्र कुमार गौतम जी की यह कविता पढें जो स्त्रियों की समर्थता और कुछ सवाल जताती है। वास्तव में गुण और कौशल में भी नारी किसी से कम नहीं है।

मैं ही जगत जननी,
मानवता की मां मैं,
मैं ही पालनहार हूं!
फिर भी सदियों से,
सह रही अत्याचार हूं।
कोई मेरे चीर पर,
कोई मेरे तकदीर पर,
उठा रहा सवाल है!
मांगू हक बराबर की,
हिल जाती सरकार है।
घमंड तोड़ा हिमालय का,
हर चुनौती पर काबू पाया,
चाहे वो तेजस जहाज हो!
फिर क्यों नहीं स्वीकार हूं,
मैं भी पुरुषों के समान हूं।
करुणा, दया, त्याग का,
करती रोज श्रृंगार हूं,
नारी हूं, हां मैं नारी हूं।
सबका भला सोचती मैं,
नारीत्व मेरी पहचान है।

~ गोपेंद्र कुमार गौतम


Comments

One response to “नारीत्व मेरी पहचान”

  1. नारी पहचान की सुन्दर कविता। बहुत खूब

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.