वो तुम्हें हर जगह दिख जाएगा
ग़ौर से देखोगे तो भगवान नज़र आएगा
कहीं खेतों में घूप की चादर ओढ़े हुए
तो कहीं सड़को के सन्नाटे में लेटे हुए
कहीं अन्न उगाते हुए तो कहीं इमारतें बनाते हुए
वो तुम्हें हर जगह दिख जाएगा
ग़ौर से देखोगे तो भगवान नज़र आएगा
कहीं कोई अपनी उदासी को छिपाते हुए
तो कहीं कोई माँ बच्चे को छाती से लगाए हुए
कोई ईटों को सिर से ढोये हुए
वो तुम्हें हर जगह दिख जाएगा
ग़ौर से देखोगे तो भगवान नज़र आएगा
कहीं कोई अपने जीवन को दावं में लगाए हुए
तो कहीं सीवर की सफाई करते हुए
कहीं घर-घर फेरी लगाते हुए
कहीं दो वक्त की रोटी के लिए
वो तुम्हें हर जगह दिख जाएगा
ग़ौर से देखोगे तो भगवन नज़र आएगा
कहीं अपने हक़ के लिए लड़ते हुए
कहीं कर्ज से फांसी पर लटकते हुए
फिर भी मुस्कराते हुए दिख जाएगा
ग़ौर से देखोगे तो भगवान नज़र आएगा।
~ सचना शाह