विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर बच्चों को साइकिल की महत्ता बताने के साथ-साथ उनको गुनगुनाने के लिए विनय कुमार वैश्कियार की यह कविता पढ़ें…
मेरी प्यारी साइकिल
मेरी अच्छी साइकिल,
मेरी प्यारी साइकिल।
चलो घूम आयें,
कुछ घूर आयें।
तुम हल्की-फुल्की,
तुम पतली-दुबली।
पर सवारी हो तगडी,
चढ़े बंटी और बबली।
तेरे माथे की घंटी,
बाजे टन-टन, टन-टन।
तेरे पहिये घूमे,
घन-घन, घन-घन।
तुम खाती-ना-पीती,
बस चलती जाती।
जरा ब्रेक दबाऊं,
तुम वहीं रुक जाती।
तेरा हैंडल पकड़ूँ,
और जरा पैंडल दबा दूँ।
मन जब जो चाहा,
वहीं चला/चली जाऊं।
ना धुआँ-धक्कड़,
ना ही शोर-शराबा।
करती ना दूषित,
तुम ध्वनि और हवा।
तुझे जो रोज चलाये,
सब योग-आसन कर जाये।
आओ, सब मिलकर चलायें,
देश स्वस्थ और निरोग बनायें।
मेरी अच्छी साइकिल,
मेरी प्यारी साइकिल।
चलो घूम आयें,
कुछ घूर आयें।~ विनय कुमार वैश्कियार