कलमकारों ने विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर चंद पंक्तियाँ हम सभी से साझा की है जो बतातीं हैं कि हिंदी साहित्य की जड़ें बहुत मजबूत हैं और यह सदैव विकास के मार्ग पर अग्रसर रहेगा।
१) प्रिय हिन्दी
ओ! प्रिय हिन्दी
है सम्मान हमारा
करो उद्धार
ऐश्वर्यवान् तुम
ओजस्वी वाणी
कुमारलतिका हो
जननी तुम
अभिमान हमारा
प्रशंसनीय
संस्कारों की दुनियां
प्रकाश पुंज
है श्रृंगार तुम्हारा
जगत उजियाराललिता पाण्डेय
२) विश्व हिंदी दिवस
एक दिन ना मनाईये इसे
अपनी आदत बनाइये इसे
हिंदी बढ़ाती हमारी शान है
रखती हम सबका मान है
बचपन की यादें है इसमें
किये गये कई वादे ही इससे
हिंदी बिना ना बोल पाते
राज़ दिल के ना खोल पाते
इसने हमें अभिव्यक्ति दी
शब्दों को हमारे शक्ति दी
फिर भीं लोग शर्माते है
हिंदी से सकुचाते है
जाने क्यूँ नहीं अपनाते है
पर ये सबको अपनाती है
सबको अपना बनाती है
अपनापन भीं सिखाती है
देश की शान बढ़ाती है
हिंदी मे जान है बसती
सबसे भाषाओ से अच्छी
हर भाषा का अपना मान
हिंदी सबमे सबसे महानस्नेहा धनोदकर
३) विश्व हिंदी दिवस
आज आप सूचित हो कि विश्व हिन्दी दिवस है।
संसार के सभ्यता की जननी हिन्दी इसकी भाषा है।
इसकी मिट्टी में सूर,मीरा,कबीर, जायसी जैसे रत्न है।
यह रस छंद अलंकारों लय ताल तुक से श्रृंगारित है।
पर्वतराज हिमालय इससे वार्तालाप करता निशिदिन है।
सागर उस माँ भारती का चरण पखारते हुए अभिनंदित है।
हवाओं में उस माँ भारती के गीत चहूँओर गुंजित है।
वर्षा भी रिमझिम रिमझिम माँ भारती का गायन है।
आर्यभट, पाणिनि, बारामिहिर, चार्वाक की माँ भारती है।
इसमें प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी जी की आरती है।
भारतेन्दु बाबू ने जिसका श्रेष्ठ चारण गान गाया था।
विश्वकवि रवींद्रनाथ ने भी अपना श्रद्धा सुमन चढ़ाया था।
शुक्लजी, हजारीप्रसाद ने भी समीक्षा कर पक्का बनाया था।
आज सारा विश्व हिन्दी भाषा की राह पर चला जा रहा है।
कैलोफोर्निया, कनाडा तक इसे अपनाया जा रहा है।
आइए हमसब भी विश्वभारती माता हिन्दी को अपनाते है।
इसके चरणों में बैठ कर, आशीष पाकर इसके बन जाते है।
समस्त विश्व को बसुधैव कुटुबंकम् की अवधारणा बताते हैं।
और सब में सर्वधर्म समभाव को जगाते है, अपनाते है।
सब मिलकर आज माँ विश्वभारती के गुण को गाते है।
आज के दिवस को पवित्र, सनातन और मंगलकारी बनाते हैं।डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘शिक्षक’