विश्व जनसंख्या दिवस (११ जुलाई २०२०)

विश्व जनसंख्या दिवस (११ जुलाई २०२०)

विश्व जनसंख्या दिवस- (World Population Day) प्रतिवर्ष ११ जुलाई को जाता है। जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना ही विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य है। इस वर्ष हमारे हिन्दी कलमकारों ने भी इस अवसर पर अपने मन के भाव इन कविताओं मे प्रकट किए हैं।

ललिता पाण्डेय
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT1239A

१) जनसंख्या

हर बार बिना पूछे तुम,
अपना रूप बढ़ा लेती हो।
कभी सोचा हैं….
ये धरा तुम्हारा भार कैसे सह लेती हैं।
यूं तो रास्ते बहुत हैं मगर,
पर तुम हर बार पुरानी डगर में चल देती हो।
फिर अपनी संख्या बढ़ा लेती हो।

यूं तो अन्तर्द्वन्द्व चलता होगा।
तुम्हारे भीतर भी,
फिर भी स्वरूप अपना बिगाड़ लेती हो।।
हे जनसंख्या,
तुम सुनती भी हो या नहीं।
हम दो हमारे दो, को क्यों भूल जाती हो।
तुम दुनियां को स्थिति दिखाकर,
अम्ल क्यों नहीं करवाती हो।
अगर कोरोना जैसी स्थिति
आ जाय तो संभाल कैसे पाती हो।

छोटा परिवार सुखी परिवार,
हँसता मुस्कुराता रखो।
चाहे लड़का हो या लड़की।
तुम भी थोड़ा धरा को बचा के रखों।

गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी
क्या तुम्हें अच्छी लगती हैं,
नहीं ना……
तो तुम भी थोड़ा हाथ बढ़ा के देखो।
जनसंख्या को नियन्त्रण करना सीखो।

रंजन कुमार
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT1239B

२) बढ़ रही है जनसंख्या

बढ़ रही है जनसंख्या, बढ़ रहे हैं देश
आज देखने को मिल रहा है नए रूप, रंग और वेश

देखो कमता जा रहा है प्रकृति की हरियाली
कोई नही कर रहा है आज इसकी रखवाली
वातावरण बहुत बिगड़ रहा है,जीवन संकट में पड़ रहा है
कहीं ज्यादा ठंढा तो कहीं ज्यादा गर्मी पड़ रहा है
बढ़ रही है जनसंख्या, बढ़ रहे हैं देश
आज देखने को मिल रहा है नए रूप,रंग और वेश।

कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़, आज जीवन बन गया है नरक द्वार
प्रदूषणों के कारण आज जीवन मे उत्पन्न हो रहे हैं रोग हजार
सीमित संसाधनों में ही आज जीवन जी रही है आधी आबादी
बेकार और खुले जगहों पर भी आज सो रही है कुछ आबादी
समय-समय पर देखने-सुनने को भी मिल जाती है इनकी बर्बादी
बढ़ रही है जनसंख्या, बढ़ रहे हैं देश
आज देखने को मिल रहा है नए रूप, रंग और वेश।

आज बच्चे दूर हो रहे हैं शिक्षा जगत की राहों से
बालविवाह और बालमजदूरी हो रही है हर गली-चौराहों में
उनके कदम बढ़ रहे है अंधकार की राहों में
बढ़ती जनसंख्या का ही दुष्परिणाम है सब
आज सोचने समझने की बात है सब
बढ़ रही है जनसंख्या, बढ़ रहें हैं देश
आज देखने को मिल रहा है नए रूप, रंग और वेश।

डॉ कन्हैया लाल गुप्त “किशन”
कलमकार @ हिन्दी बोल India
SWARACHIT1239C

३) विश्व जनसंख्या दिवस

आज विश्व जनसंख्या दिवस है,
तो बातें अपने भारत की भी हो,
हमारा देश जनसंख्या की गोदाम,
हम इस पर करें कुछ सम्यक ध्यान,
जनसंख्या से अर्थव्यवस्था बेहाल,
अब तो हम कुछ करें ऐसा कमाल,
देश हो जाए समृद्धि और खुशहाल,
स्वास्थ्य, शिक्षा, तकनीक का ज्ञान,
गरीबी से देश को दिलाये हम निदान,
अज्ञानता है एक सबसे बड़ी बिमारी,
यह अज्ञानता सारे विश्व पर है भारी,
इससे गरीबी, अशिक्षा, अस्वास्थ्य हो,
अत: जनसंख्या नियंत्रण है जरूरी।

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