कलमकार विजय कनौजिया आँसुओं में छिपे दर्द और यादों के सागर को अपनी इस रचना में दर्शाया है।
चलो आज फिर से
कहानी लिखेंगे
वही पहले जैसी
रवानी लिखेंगे..।।तेरी याद में अक्सर
बहते हैं अब तक
उन्हीं आंखों का
आज पानी लिखेंगे..।।वो भीनी सी खुशबू
चमक जुगनुओं की
वही अपनी बातें
पुरानी लिखेंगे..।।वही मुस्कुराना
वही रूठ जाना
वही पहले जैसी
मनमानी लिखेंगे..।।जो अरमान दिल के
सिसकते हैं अब भी
वही अब अधूरी
कहानी लिखेंगे..।।
वही अब अधूरी
कहानी लिखेंगे..।।~ विजय कनौजिया
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