शिक्षक दिवस के दिन हिन्दी कलमकारों द्वारा कुछ पंक्तियाँ गुरुजनों को समर्पित की गईं हैं।
हेप्पी टीचर्स डे
जिन्होंने दी शिक्षा हमें वो हैं हमारी टीचर,
जीवन में गुरु का स्थान होता सबसे ऊपर।
उनके सम्मान में कभी न आएगी कमी,
हर कोई सदैव रहेगा उन सबका ऋणी।
वो हर पल रहते हमें ज्ञान देने को तत्पर..
आज के दिन हम मना रहे हैं शिक्षा दिवस,
इसका सही उद्देश्य समझें उतना ही है बस
जिसने दी हमें शिक्षा उनको प्रणाम कर..
कितना भी आधुनिक हो जाये ये ज़माना
अधूरा ही रहेगा ज्ञान इन टीचर्स के बिना।
आज टीचर्स डे पर उन सबको सलाम कर
शिक्षक
शिक्षक सिर्फ़ वह नहीं जो हर दिन विद्यालय जाए,
बच्चों को किताबी ज्ञान कराए।
पहली शिक्षक माँ है जो घर में सही राह दिखाए,
विनम्रता का पाठ पढ़ाए,
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
दूसरा शिक्षक पिता है, जो ज़िम्मेदारियों को वहन करना बताए,
हर रिश्ते के प्रति सहनशीलता दिखाए,
खुद के पैरों पर खड़े होने का हुनर सिखाए।
शिक्षक वह मित्र भी है जो सुख दुःख में काम आए,
मेरी भावनाओं में ख़ुद बह जाए,
मुश्किल में गले लगाए और ज्ञान का पाठ पढ़ाए।
अंतिम शिक्षक विद्यालय का वह शिक्षक है,
जिसकी नसीहतें जीवन भर काम आए,
जो हर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाए,
नित नये ज्ञान से परिचय कराए।
छात्र यदि भूल भी जाएँ अपने शिक्षक को,
पर शिक्षक अपने छात्रों को कभी न भूल पाए।।
गुरु
जिंदगी कोरे कागज से थी आपने उसे किताब बनाया था,
जिंदगी बेमकसद भटकाव थी आपने उसे राह दिखाई थी,
अक्षरों का ज्ञान कब किसे कहाँ था?
अरे! मेरे लिए तो “काला अक्षर भैंस बराबर समान था”,
जन्म भले ही मां ने दिया और
पिता ने उंगली थाम मुझे चलना सिखाया था,
पर चलना कहां है?
गुरु जी ये तो आपने ही मुझे बताया था।
बनकर आईना आपने मुझे मेरे व्यक्तित्व से रूबरू कराया था
मेरे भीतर का साहस मुझमें आपने ही तो जगाया था,
जब जब की मैंने गलतियां लगा फटकार मुझे पहले रुलाया था
फिर प्यार से उंगली पकड़ मुझे लिखना सिखाया था,
हां वो स्कूल के बीते दिन आज भी याद आते हैं मुझे,
याद आते हैं सभी गुरु-जन जिन्होंने हर क्षण कुछ नया सिखाया था मुझे!
मेरे अंदर के डर को खत्म कर
मुझे मंच पर पहली बार चढ़ने का आत्मविश्वास जगाया था आपने
आज भी याद है मुझे वह दिन जब मैंने कहा था कि “पहली बार है”
यह कहते हुए मेरा अन्तर्मन कपकपाया था
तब आपने “ज़िन्दगी में होती हर चीज़ पहली बार” मुझे समझाया था,
हां आज भी यह बात याद रखती हूं
और हर काम पूरे आत्मविश्वास से करती हूं।
तस्मै श्री गुरवे नमः
संघर्ष पथ पर पथप्रदर्शक,
ज्ञान का दीपक जलाए,
वाणी की ओजस्ता से,
मन के कितने संशय काट गिराए,
चुनौतियों में अडिग खड़े,
संकल्प की कीमत बतलाए,
हार का विकल्प ही जिसने,
उर के भीतर से हैं मिटाए।
कठिनाई की घड़ी में हौसला,
आनंद में हरफनमौला,
हंसी ठहाकों के भीतर ही,
सिद्धांतो के मूल्य को बताए,
पुस्तक के पन्नों से कहीं ऊपर,
जीवन शैली के गुर सिखलाए।
मधुर मुस्कान लिए हर क्षण,
विस्मय को हर्ष में बदलाए,
हाथ जो थामे अपने शिष्य का,
जीवन भर वो साथ निभाए।
शब्दों में कहां इतनी क्षमता है,
आप के गुणों को बांध पाए,
निवेदन बस इतना करते हैं,
हर जन्म गुरु रूप में आप ही को पाएं।
मान बढ़ाते हैं शिक्षक
जीवन पथ पर सही ग़लत की, राह दिखाते हैं शिक्षक
भविष्य में कुछ करने के, सपने दिखाते हैं शिक्षक।
मान बढ़ाते हैं शिक्षक! पहचान बनाते हैं शिक्षक!
जीवन में कुछ करना है तो, शिक्षक का सम्मान करें
ख़ुद से भी ऊपर दर्जा देने वाले, उस खुदा ने ऊपर रखा है शिक्षक।
मान बढ़ाते हैं शिक्षक! पहचान बनाते हैं शिक्षक!
गुरु बिना हम कुछ भी नहीं, हमारा जीवन सार्थक करते हैं शिक्षक
जीवन की हर विपदाओं से, सामना करना सिखाते हैं शिक्षक।
मान बढ़ाते हैं शिक्षक! पहचान बनाते हैं शिक्षक!
शिक्षक का मान रखने में ही, अपनी भी शान है
हम फूल हैं बगिया के, शिक्षक बागवान है।
गिरते हैं जब हम, तो उठाते हैं शिक्षक
मान बढ़ाते हैं शिक्षक! पहचान बनाते हैं शिक्षक!
है आज बहुत हर्षित मन मेरा, शिक्षक दिवस है पर्व सुनहरा
इस पुलकित पावन अवसर पर, बंदन करता है मन मेरा
मान बढ़ाते हैं शिक्षक! पहचान बनाते हैं शिक्षक!
शिक्षक
नए तथ्य और रोचक बातें,
हर दिन बताता है “शिक्षक”।
मझधार में फंसी नैया को,
स्वयं पार लगाता है “शिक्षक”।
स्वयं कड़ी धूप में तपकर,
ठंडी हवाऍं बहाता है “शिक्षक”।
लड़कर लाख मुश्किलों से,
पथ सुदृढ़ बनाता है “शिक्षक”।
हर समस्या का हल यहॉं,
क्षण में ढूॅंढ लाता है “शिक्षक”।
जब विकल्प कोई शेष न रहे,
गुरुमंत्र हमें बताता है “शिक्षक”।
बीज ज्ञान भण्डार के सारे,
मस्तिष्क में उगाता है “शिक्षक”।
मुखारविंद की अमृत वर्षा से,
प्रतिपल जल पहुॅंचाता है “शिक्षक”।
भोर भये सब ज्ञान के दीपक,
श्रम साधना से जलाता है “शिक्षक”।
सांझ ढलते ही रक्षा में इनकी,
स्वयं खड़ा हो जाता है “शिक्षक”।
अंत में हमको बना पूर्ण दक्ष,
हमसे ही मात खाता है “शिक्षक”।
इसलिए शिक्षक दिवस की रोज़
हम सबको याद आता है “शिक्षक”।
शिक्षक / गुरु
शिक्षक बिना शिक्षा नही,
शिक्षक गुणों की खान।
शिक्षा बिना शिष्य नही,
शिक्षकों को बनाएं महान।।
शिक्षक माँ संस्कारों से पालन पोषण करती,
शिक्षक पिता उंगली पकड़ चलने की राह दिखाते।
शिक्षक रिस्ते नाती नित नए रंग ढंग सिखाते,
शिक्षक सुदूर राहों को आलौकिक करते।।
अज्ञानी शिष्य अगर है नाव,
ज्ञान शिक्षा अगर है पतवार।
बन केवट शिक्षक हमें,
ले जाते भवसागर के पार।।
मानव जीवन के कर्मपथ पर,
प्रगति की कमान शिक्षकों के हाथ ।
समाज को बनाते प्रगतिशील,
ज्ञान अनुभव से नित करते प्रकाशमान।।
अज्ञान ओर अंधेरो मैं भी,
शिक्षक है ऊर्जामय दीपक समान।
प्राचार्यों आचार्यो शिक्षाविदों ओर,
शिक्षकों की महिमा है महान।।
चरित्र संस्कार संस्कृति के सृजक ,
ज्ञान विज्ञान अनुसंधान के ध्वज रक्षक।
अज्ञान अवगुणों के नाशक,
ज्ञान विवेक के संरक्षक।।
शिक्षक है चिंतक राष्ट्र निर्माण मे निर्णायक,
निंदक की परवाह बगैर सत्यपथ के प्रदर्शक।
प्रशंसा चाहे बिना करते जाए अपना नितकाम,
शिक्षक है सृस्टि मे धर्म कर्म उत्थान के संरक्षक।।
सभी गुरुजनों के चरणों मे,
श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।
उनकी कृपा से नई राह मिली,
नित उनको शीश नवाता हूँ।।
गुरु सम्मान
रौशन करता वो जग को
भटकों को दिखाता राह है,
लक्ष्यविमुख जीवन पथ पर
पैदा करता नये नये चाह है।
कुंठित मन को संभाल
बनाता उसे ऊर्जावान,
नए नए क्रियाकलापों से
ज्ञान होता क्रियावान।
दूर घुप अंधेरो में भी उसने
ज्ञान का दीप टिमटिमाया है,
घिस घिस कर उसने कई
पत्थर को मोती बनाया है।
नतमस्तक रहेगा संसार ये
सभी गुरुवर के सम्मान,
गुरु बिन जीवन का मोल नहीं
देवगण भी करते बखान।
शिक्षक दिवस
हमारे जीवन को साकार रूप देता है,
सपनो को ऊँची उड़ान देता है,
वो होता है शिक्षक यहाँ,
जो इस जहाँ में रहने को
एक नया ज़हान देता है।।
हमारे गुण-अवगुण पहचान कर
तराश हमें देता है,
हम बने एक क़ाबिल इंसान यहाँ,
इस कदर वो अपना प्रयास हमें देता है।
शिक्षक
शिक्षक, शिष्य के जीवन का आधार है
शिक्षक से ही शिष्य को मिलती संम्भावनायें आपार है।
शिक्षक, शिष्य के लिए दूसरे माता है पिता है
शिक्षक ही इनके बाद शिष्य के लिए जीता है।
शिक्षक, शिष्य का मार्गदर्शक,प्रेरणादाता है
शिक्षक ही शिष्य के जीवन में ज्ञान रुपी रोशनी लाता है।
शिक्षक ही शिष्य के जीवन में अनुशासन लाता है
शिक्षक ही शिष्य को सामाजिक गुणों से परिपूर्ण बनाता है।
शिक्षक ने शिष्य के भविष्य के लिए सर्वस्व झोंका है
शिक्षक ही बालक को देता सर्वप्रथम आगे बढ़ने का मौका है।
शिक्षक, शिष्य का सच्चा पथप्रदर्शक है,
शिक्षक को ही होता, शिष्य की सफलता का सर्वाधिक हर्ष है।