मेरी खास हो तुम

मेरी खास हो तुम

जब कोई मन को भाने लगता है, उसकी सारी बातें अच्छी लगती है और हमेशा उसके साथ रहने की इच्छा जाग उठती है। कलमकार शुभम पांडेय ‘गगन’ ने इस मनोदशा को अपनी कविता में वयक्त की है और लिखा – मेरी खास हो तुम।

कितनी ज्यादा है दूरियां तेरे मेरे दरमियाँ
आज कल न मिले खुशी सिर्फ ग़म है यहाँ
तुम जो हो साथ मेरे खुशियाँ मुझे आ मिली
जब जब तुम मुस्कुराई देखो कलियाँ खिली
तेरे मेरे इश्क़ की आज कहानी मुक्कमल हो गयी
आज तेरी रूह देखो मेरे रूह में उतर गयी
मेरे हर खाते का तू हिसाब बन गयी
मेरे सारे सवालों का जवाब बन गयी
मेरी मोहब्बत पर तेरा अब हक़ हो गया
मेरा जिस्म मेरा कहाँ अब तेरा हो गया
तेरा अक्स अब मुझे आइनों में दिखता है
ये नशा है इश्क़ का जो मुझपे चढ़ गया
मेरी साँसों में खुद को बसा ले अब
नाम मेरा अपने मे मिला ले बस
मेरी ज़िन्दगी की सबसे हसीं ख़्वाब हो तुम
उम्र भर के लिए मेरे लिए सबसे ख़ास हो तुम।

~ शुभम पांडेय गगन

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/462296338010877

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