राष्ट्र और समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी होनी चाहिए। कलमकार अजय प्रसाद जी लिखते हैं कि हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए सरकारों को कोसना उचित नहीं है।
कर चुके ज़लील,अब ज़र्रानवाज़ी होनी चाहिए
शराफत में नज़ाकत भी शैतानी होनी चाहिए।फ़कत अवाम के वोट से कुछ नहीं होता है अब
सत्ता के लिए कुछ तिकड़मवाज़ी होनी चाहिए।नये दौर में नये तरीकों की सियासत लाज़मी है
जम्हुरीयत के नाम पर जुम्लेबाजी होनी चाहिए।पूछे कोई सवाल और न कँही करे कोई बवाल
जँहा करें सब गुलामी वो आज़ादी होनी चाहिए।हड़तालें,तोड़फोड़,और आगजनी में मददगार
लोगों को भड़काने को नारेबाजी होनी चाहिए।सिर्फ हंगामा खड़ा करना इनका मक़सद नहीं
चाहते हैं हिंसा और पत्थर बाजी होनी चाहिए।गरीबों की गरीबी और अमीरों की अमीरी में
रहनुमाओं की भरपूर हिस्सेदारी होनी चाहिए।हर बात पे कोसना सरकार को भी ठिक नहीं
यारों अपनी भी कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए।~ अजय प्रसाद
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