दोस्त और प्यार में किसी एक का चयन करना मुश्किल जरूर होता है लेकिन यदि थोड़ा सोच विचार कर किसी निर्णय पर पहुंचे तो आसान होता है। समीक्षा सिंह ने कलमकार आशीष तिवारी की एक रचना साझा की है जिसकी पंक्तियाँ ‘प्यार बनाम यार’ जैसे जटिल मुद्दे को सुलझा रहीं हैं।
हमारे झगड़े में भी,
तेरे इस प्यार से ज़्यादा प्यार है।
आखिर तेरे लिए क्यूं छोड़ दूं मैं उसे?
ये तो वही मेरा पुराना मासूम यार है।बेशक तेरा प्यार मेरे लिए सच्चा है
बेशक तेरा प्यार मेरे लिए सच्चा है।
पर मुझे मेरे इसी हाल पर छोड़ दो
क्यूंकि मेरे लिए तो मेरा दोस्त ही अच्छा है।वैसे तो बहुत बार मुझसे रुठा है वो
वैसे तो बहुत बार मुझसे रुठा है वो।
लेकिन जिस दिन
तेरी वजह से मेरा दोस्त मुझसे रुठ गया,
है कसम तेरी उस दिन, सच में मेरा दिल टुट गया।चल मान ले,
अगर मैं तेरी बात मान भी जाऊंगा
अगर मैं तेरी बात मान भी जाऊंगा।
फिर शायद ही मैं उसे अपना दोस्त कह पाउंगा।
आखिर मैं कैसे उससे नजरें मिलाऊंगा
मैं तो खुद की ही नज़रों में गिर जाऊंगा
बेशक तेरा प्यार सच्चा है,
पर मेरा दोस्त ही अच्छा है।~ आशीष तिवारी
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/385214212385757
Post Code: #SwaRachit133