मां दक्षिणेश्वरी काली कल्याण करो
जागो जागो माँ रणचंडी जन जन का कल्याण करो। उठो उठो मां दक्षिणेश्वरी काली बच्चों का हाथ पकड़ अब उनको प्यार करो। कांप रही थर थर दुनिया तेरे अट्हास से। अब तो बच्चों का उद्धार करो। जपत निरंतर नाम तेरो…
जागो जागो माँ रणचंडी जन जन का कल्याण करो। उठो उठो मां दक्षिणेश्वरी काली बच्चों का हाथ पकड़ अब उनको प्यार करो। कांप रही थर थर दुनिया तेरे अट्हास से। अब तो बच्चों का उद्धार करो। जपत निरंतर नाम तेरो…
हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2077 की आप सभी को ढेरों शुभकामाएं. माता रानी सभी का कल्याण करें और हर विपत्ति से हम सब की रक्षा करें. नवरात्री का त्यौहार है आया माता रानी आयी हैं, साथ समेटे इस जहाँ…
जवानी के उन्माद में निकल आया बाहर गली मोहल्ले चौराहों पर फैला था जहर गलतफहमी थी मुझे कुछ न करेगा कोरोना आईसीयू में अपनी करनी पर आ रहा रोना। कोरोनो के चपेट से मौत सामने हैं खड़ी अपनों को दे…
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा जी ने अपनी छात्रा प्राची गोयल की रचना प्रस्तुत की है। कोरोना वायरस ने सभी को चिंतित कर रखा है। वर्तमान समय में आए इस संकट पर कलमकार प्राची गोयल की पंक्तियाँ पढ़े। मेरे महादेव भोले भंडारी…
लॉकडाउन में बैठे बैठेकोई नहीं सफरकोरोना नाम से चीनीचाचा, दे गए ज़हरकुछ मत सोचो भाईआओ चलें, किचेनदूध, दही, संग खानाखाएं, दूर रखेंगे हेनआओ चलो मलाई कांटेअपने रसोईघर लॉक डाउन में बैठे बैठेकोई नहीं सफरमत निकलो, बाहर कोईवहां पुलिस खड़ी हैबंदा…
भारत में हुये लॉकडाउन से त्रस्त दिहाड़ी मजदूर की पीड़ा वह दिन भर फावड़ा चला रहा था, रूखी-सूखी ही कुटुम्ब को खिला रहा था, हाय कोरोना, तुझे वो बद्दुआ दे रही थी, बच्ची रोटी-रोटी चिल्ला रही थी। सुन नन्ही गुड़िया…
इतना न घबराओ तुम घर को ही सब कुछ बनाओ तुम ॥ चला जायेगा कोरोना भी इतना न डरो तुम ॥ बस समझदारी दिखाओ तुम बात करती बार दूरी बनाओ तुम ॥ वैश्विक विपदा आन पड़ी जिन्दगी हम सबकी परेशान…
पूरे जग में छाई है महामारी कोराेनो संक्रमण की बीमारी जो मेल मिलाप को बढ़ा रहे यह उन लोगों से ही है जारी। हम सब रहेंगे आज से घर यह अटल प्रतिज्ञा है हमारी, नहीं बढ़ने देंगे इसको अब कोशिश…
जब मैं निकलता हूँ भीड़भाड़ गलियों से तो एक डर सा लगा रहता है रोशनी से जगमग भीड़ वाली दुकानें मुझे परेशान करती हैं मुझे परेशान करती है बिना मास्क लगाए लोगों के चेहरे भीड़ का नहीं बनना चाहते हिस्सा…
अनुरोध, आप सबसे करती हूँ मैं भी घर में, बैठी हूँ दिन-रात, डाक्टर-नर्स है काम में लगे सही समय पर खा तक, नहीं पा रहे वे। पुलिसकर्मी दिन-रात लाठी चार्ज करते, क्या तुम सबमें, समझ न थोडी़ भी है आज…
तेजी से भाग रही दुनियाँ की रफ़्तार को पल भर में ही थाम दिया कोरोना चंद पलों का समय नही था मानव को चंद पलों का भी काम न छोड़ा कोरोना। चाँद मंगल पर पहुँचने वाले मानव को एक पल…
डरो मत कोरोना से, लड़ते रहो मगर अपनी तैयारी करते रहो नहीं पार करना ये देहलीज घर की निकलना ना बाहर ये चींखें हैं दर की गले को रखो तर, ना उसको सुखाओ ये सब से अहम है सभी को…
कोरोना से डोल गया सारा संसार, चहूँ ओर मचा है कैसा ये हाहाकार। देखो विष ने क्या कर दिया काम, सरहदें बन्द सब ओर लगा विराम । चीन से उपजा विष यह भयानक, प्रबल वेग से फैल गया अचानक। मानुज…
थोड़े सहम हो जाओ तुम, उतने भी ना घबराओं तुम, है, कोरोना वायरस का कहर, थोड़े स्वच्छ बन जाओ तुम। सर्दी खाँसी है, जिन्हें थोड़े दूर रखो उन्हें, जब बुख़ार-थकान लगे उन्हें, तुरंत डॉक्टर से मिलाओ उन्हें। हाथ-मुँह पर रखो…
हे प्रभु आनंद दाता उपकार हम पर कीजिए कोरोना के संकट से उबार हमें दीजिए। फंसी है बीच मझधार नैया पार इसे कीजिए हे प्रभु आनंद दाता उपकार हम पर कीजिए। भूल हुई अगर कोई हमसे तो भूल माफ कीजिए…
हे जगत नियंता, हे पालनहारी आन पड़ी हम पर विपदा भारी। सजा दी किस भूल की इतनी भारी त्राहि-त्राहि कर रही दुनिया सारी। संकट पड़ा जगत पर भारी फैली जब से कोरोना बीमारी। खांसत-छींकत डरें अब नर-नारी कोरोना कहीं ले…
5 बजे 5 मिनट की धन्यवाद मुहिम पर मेरी एक छोटी सी कोशिश। बहुत बहुत धन्यवाद हमारे डॉक्टर्स का, हमारे पुलिस कर्मियों का, हमारे सेना के जवानों का और उन सभी लोगों का जो इस जटिल समय में अपनी जान…
कलमकार मनोज मनुजी कोरोना के चन्द शब्द कोरोना के योद्धाओं पर ... मुरझाई सी लगती है हर कली क्यों आज हमको, खामोशियाँ ये शहर की कह रही कुछ आज हमको। ठहरा ठहरा सा ये मंजर, ये फिजा की बदमाशियाँ, सन्नाटा…
यूं तो देखे थे सभी, इस संसार में महामारी बहुतहर दौर में दौरों का गुज़र है, मौत की सवारी बहुत हैजा प्लेग आदि सीमित रहे है, किसी भी मुल्क मेंकोरोना फैला सारे जगत में, मुश्किलें हमारी बहुत नहीं दवा है…
अनुरोध, आप सबसे करती हूँ मैं भी घर में, बैठी हूँ दिन-रात, डाक्टर-नर्स है काम में लगे सही समय पर खा तक, नहीं पा रहे वे। पुलिसकर्मी दिन-रात लाठी चार्ज करते, क्या तुम सबमें, समझ न थोडी़ भी है आज…