आहट
ये आहट कैसी है मृत्यु की, चारों तरफ हाहाकार मचा है। ये जो पसरा है सन्नाटा, क्या कोई मौत का पैगाम लाया है। कोई तन से हारा, कोई मन से हारा चला जो दो कदम वो फिर समाज से हारा।…
मन में विचार सुलग गया कैसी बन्धगी कैसा ताला। शिक्षा मंदिर बंद भयो खुल गयी मुधशाला। संभली हुइ चाल चली सरकार कहे ये है भली एक हाथ को बचाती फिरे दुसरे हाथ को जलाती चली छाती ओर कवच औड़ा पीठ…
न जात देखे न धर्म देखेअमीर देखे न गरीब देखेबड़ी बेरहम बीमारी हैंइससे दुनिया हारी हैंकोरोना सब पर भारी है। सात समंदर पार सेचीन के बाजार सेऐसी ये महामारी हैंत्रासदी ये सारी हैंकोरोना सब पर भारी है। विश्व सारा जूझ…
बन्द रहेंगे मंदिर-मस्जिद, खुली रहेंगी मधुशाला। गांधी जी के देश मे देखो, क्या होता है गोपाला हर जगहा त्राहि त्राहि है, पल पल संकट बढ़ता है। रक्त बीज असुर कोरोना दिन प्रतिदिन ये बढ़ता है। इस आलम में निर्णय ऐसा…
श्रम साधक को विश्राम नहीं कर्म से नहीं फुर्सत ,आराम नहीं मेहनत उसका कार्य ,करता उसे हराम नहीं चलता ही जाए ,लेता कभी विराम नहीं कर्म ही उसकी सच्ची पहचान ईश्वर का इक अनमोल वरदान राष्ट्र का सदा बढाता मान…
प्रकृति का बलात्कार तो आदम ने बहुत किया हर शतक हमने अनदेखा तो कर दिया विकराल काल के संकेत को कलियुग का है यह अदृश्य असुर सुन सके तो ठीक से सुन इसके तांडव का हर एक सुर एक ताल…
और देशों की बर्बादी से हम कुछ नया ना सीखेंगे,खबर आई है एक अजीब कि मदिरालय रोशन होंगे।इतने दिनों की मेहनत पर अब पानी फिरने वाला है,लगता है कोरोना का खेल अब तगड़ा होने वाला है।फिर से भीड़ लगेगी अब…
आज कोरोना नामक महामारी से सारी दुनिया जूझ रही है। सम्पूर्ण विश्व इसकी चपेट में आ चुका है। दुनियाभर में लाखों लोग इस कोरोना वायरस ( कोविड-19) से जान गंवा चुके हैं। अधिकांश देश इस महामारी की भीषण मार झेल…
लाकडाउन के चलते मंदिर बंदमस्जिद बद गुरुद्वारे बंदबंद विधालय और महाविद्यालयलाकडाउन खुला तो,खुले तो केवल मदिरालय इस ढील के दौरान देखा अजब़ नजाराशराब के ठेकों पर भीड़ थी,शराब की तलब मेशराबी फिर रहा था मारामाराशराब के लिए पैसा है,मगर ढूंढता…
रहते हम सब घर में हीचाहे दिन हो या रात,सारा कुछ है बंद पड़ाहो गई पुरानी बात।पहले तो संतोष थाबीत जाएँगे दिन इक्कीस,थोड़ा मन तब घबड़ायाजब प्लस हो गए और उन्नीस।थोड़ी सी परेशानी हैपर ठीक ठाक है हाल,लेकिन चिंता की…
आओ मिलकर करें तज़किराहे! कहां मिला, पीने को मदिरा? जल बहुत पिएऔर ऊब गएबिना सांझ केदिनकर डूब गएजब खुलेकोई मधुशालातभी जमेगीदिल का प्याला छलक के बोतल, दो बूंद गिराहे! कहां मिला, पीने को मदिरा? एकांतवास सेसूख गएबिन दारू के सबभूख…
कैसा नजराना मिला, सकल विश्व को आज।चलते चलते थम गये, आवश्यक सब काज।।आवश्यक सब काज, बला ये कैसी आयी।काली मेघ समान, घटा बनकर जो छायी।सबके समक्ष उदास, ठाड़ा असहाय पैसा।व्यथित मनुज समाज, मिला नजराना कैसा।।१॥ नजराने की सोचकर, दिल हो…
सौत बनकर आ गई जिंदगी मेंक्या उसमें जो मुझमें नहीं हैउतावले चल दिए उस ओरमधुशाला पीने पहुंच गए हैंसब मयखाने की ओरघर में अकेली फिर हो गईजब लौटें होश नहीं रहतावह मार पिट करते हैंमुझको अबला समझते हैंबेसुध कर देता…
भोर से साँझ तक औरसाँझ से रात तक भोर तकहर पल अब यूँ है लगताजिंदगी ही एक रहस्य हो जैसेपेड़ों पे गौरैइया, दिन में भी चुप हैंलगता है एकदम बौउरा गये हैंऔर ये गली के कुत्तेरात के सन्नाटे में भी…
हुए युद्ध जब धरा पर,कांपे रण और थल।आपत्त में सब लोग,हुआ था काल विकराल।। घर में रहे सुरक्षित,जन जन को ये फरमान।हुआ एक युद्ध ऐसा भी,करे फैसले का सम्मान।। दिन इक्कीस पूरे है,एक एक ये बीत जाएंगे ।फतह हासिल होगी,मुक्ति…
हमारा राष्ट्रवाद विश्व के विभिन्न देशों के लिए 'कोरोना वायरस' चुनौती का प्रमुख कारक बन चुका हैं। विश्व भर में प्रतिदिन लोगों की मृत्यु के आकडों में वृद्धि हो रही हैं। अमेरिका, इटली, चीन आदि विश्वभर के बड़ें-बड़े देशों के…
लाख जी घबराये मन की डोर बाँधे रखना, नैया मझधार डगमगाये धीरज बाँधे रखना, आँधी आये तूफाँ आये अडिग अचल रहना अँधकार में भी प्रकाश दीप जलाये रखना, जीवन में राह न सूझे गुरुवर को याद रखना सुख में कभी…
यह कविता समाज के उस वर्ग को समर्पित है जो समाज के लिए जी जान से कार्य करते हैं और अपनी जान जोखिम मे डाल कर समाज मे कानून और व्यवस्था को लागू करते हैं । समाज की पुख्ता पहचान…
सारा ध्यान गरीबों पर और उच्च वर्ग को फर्क नहीं किसी को याद नहीं शायद मध्यम वर्ग भी रहता है। देश में अधिक गरीबी है तनख्वाह भी आती गिनचुनकर कुछ कह नहीं सकता किसी से ही मध्यम वर्ग चुप रहता…
पहले जैसे होंगे हालात, उम्मीद लगाये बैठे हैं, गले मिला करेंगे सबसे, ये स्वप्न सजाये बैठे हैं। मिट जायेगी ये मजबूरी, बीच रहेगी अब ना दूरी, चाह रहेगी नहीं अधूरी, मनोकामना होगी पूरी, घर में इन सब बातों का, दिया…