Tag: कोरोना वायरस

  • कर्मवीरों के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है

    कर्मवीरों के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है

    कभी सीमा पर, कभी अस्पतालो में, कभी बीच सडको पर‌, वो यूं नजर आते हैं। छोड मां आंचल वो नित रोज सेवा पर जाते हैं। जिनके जज्बातो के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है। वो देशभक्त, वो कर्मवीर, वो ईश्वर भगवान है। कभी मां की लाज बचाने को, कभी परहित जान बचाने को, कभी शांति का मार्ग…

  • क्या लिखा जाए

    क्या लिखा जाए

    सवाल है आखिर क्या लिखा जाए? मुल्क के हालात लिखूं या ऊंची नीची जात लिखूं मौसम की बदमिजाज लिखूं या हवाओं के सर्द आगाज लिखूं चारो तरफ़ फैली हाहाकार लिखूं या ईश्वर पर कुछ विश्वास लिखूं काली विषेली धुएं की प्रहार लिखूं या भोजन के लिए तड़पते इंसान लिखूं बारिश में भीग कर नहाना लिखूं…

  • कोरोना योद्धा

    कोरोना योद्धा

    करें हम वन्दना तेरी हे कोरोना योद्धा। दया धर्म परोपकार समदृष्टि से काम करते कोरोना जग से मिट जाये प्रतिपल कर्म ऐसा करते, पूरी दुनिया देख रही तेरे हृदय की विशालता माँ-बाप, बीबी-बच्चों से तूँ हो गया जुदा। हे कोरोना… पनपता विद्वेष जो जन-मन विनीत भाव से भरते राजा-रंक पर रख समभाव देश का मान…

  • आत्ममंथन

    आत्ममंथन

    ये कैसी आहट है? क्या सिर्फ़ हवा का झोंका हैं जिसने कर दिया अभिभूत सभी को आज एहसास हो गया कि गुदरत के आगे किसी की नहीं चलती हैं। कभी इस दुनियां को अलग-थलग सपनों का महल बनाते देखी थी! वह सिर्फ़ ख़्वाब था या हकीकत थी। हम पहले भी जीरो थे अभी भी है…

  • भौतिकता की चाह में

    भौतिकता की चाह में

    भौतिकता की चाह में हम सब बसुधा को भी भूल गये , चन्द्र खोज के बल पर मन में दंभ ग्रसित हो फूल गये । सागर पाटे, जंगल काटे और फिर मांसाहार किया जो देते थे जीवन हमको , उन संग दुर्व्यवहार किया। तब हो कुपित प्रकृति ने ये कोरोना ईजाद किया, मानव को शिक्षा…

  • कोरोना और लाॅकडाऊन

    कोरोना और लाॅकडाऊन

    ख़ाली, सुनसान, विरान सा हो गया है आजकल मेरा टाउन लगता! है वक्त की मार ने मानव को करा दिया हैै लाॅकडाउन। परिवार का मोह छीन ले गया है आज का स्मार्टफोन कोरोना वायरस से कैसे बचें हर फोन में है बचाव की रिंगटोन। करना नहीं कभी अपने हौसले डाऊन सूर्य उदित ज़रूर होगा करके…

  • हे राम! प्रभु तुम आ जाओ ना

    हे राम! प्रभु तुम आ जाओ ना

    हे राम प्रभु तुम आ जाओ नाबड़ा दर्दनाक है मंज़रइन्सानियत घूम रही ले खंजरहे राम प्रभु तुम आ जाओ ना चहुंओर ओर छाई है विरक्ति सब कहते हैं मेरा धर्म मेरा जहांनपर कोई ना कहता मेरा आर्यावर्त महाननिशब्द सी है वेदना ना है कोई उक्ति हे राम प्रभु तुम आ जाओ नाराम राज्य तुम ला…

  • खुद को लॉकडाउन रखना है

    खुद को लॉकडाउन रखना है

    कुदरत ने आज आईना दिखाया है। संभाल के रख इंसान अपने कदम, पर्वत के जैसे ठहरी है जिंदगी, चट्टानों सी स्थिर है जिंदगी। यह अजीब सा सन्नाटा चहू ओर छाया है। कुदरत ने आज आईना दिखाया है| हमारी संस्कृति को आज फिर से हमने अपनाया है। सारी आदतों को हम ने दोहराया है। बाहर से…

  • पिंजरे में बंद मानव

    पिंजरे में बंद मानव

    क्यों अच्छा लग रहा है न? अब पंछियों की तरह कैद होकर तुम ही तो कहते थे न, सब कुछ तो दे रहे हैं हम दाना-पानी इतना अच्छा पिंजरा तो अब क्यों ? खुद ही तड़प रहे हो उसी पिंजरे में बैठकर। क्यों बंधे हुए हाथ-पांव अच्छे नहीं लग रहें तुम्हें? मगर तुमने भी तो…

  • सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

    सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

    मानवता की सेवा में इन्होंने, अपने दिन रात लगाए हैं! अपने घर की फ़िक्र छोड़कर, यहां लाखों घर बचाएं हैं! सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी पहन, फ़र्ज़ अपने निभाए हैं! ज़रूरी चीजें, मास्क के संग सैनिटाइजर भी बंटवाए हैं! मौसमी आफ़त के झोंकों ने, न इनके हौंसले डिगाए हैं! हमें अपनों संग रखा, पर ख़ुद…

  • जंग हमारा देश जीतेगा

    जंग हमारा देश जीतेगा

    जीतेगा जीतेगा ऐ कोरोना से जंग हमारा देश जीतेगा, हारेगा कोरोना जंग हरेगा और हमारा देश छोड़कर भागेगा! देश की रक्षा करने के लिए देश के लाल पथ पर खड़े है, अपने घर और परिवार को छोड़कर अपने कर्तब्यों पर अड़े है! सत्ययुग में राक्षसो से रक्षा करने के लिए, भगवान विष्णु ने रामा अवतार…

  • मनोस्थिति

    मनोस्थिति

    आज मनोस्थिति ऐसी है कि करे तो क्या करें कुछ सूझता नहीं समय कटता नहीं पर/कुछ तो करना ही होगा और करना ही पड़ेगा वो तो ये है कि हम सबको सहना ही पड़ेगा तब कहीं जाकर हम इस मनोस्थिति से बाहर निकल सकते हैं। ~ मनोज बाथरे

  • कोरोना- लॉक डाउन का प्रभाव

    कोरोना- लॉक डाउन का प्रभाव

    आज प्रभात पत्नी बोली एक बात हे आर्यपुत्र, कुल भूषण मेरी माँग के आभूषण लॉक डाउन का प्रभाव मन्द हो गया है, मास्क पहनकर जाने का प्रबंध हो गया है। रसोई में रखे आटा दाल मसाले सब के सब हो गए हैं खाली, आज पड़ोसन के घर से भरवाई थी शक्कर की एक छोटी प्याली।…

  • भारत को बचाना है

    भारत को बचाना है

    आओ मिल को बचाना है घर पर रहना कहीं न जाना है व्यर्थ ना इसमें समय गवाना है हाथ पे हाथ रख न बैठना है। हमको भारत को बचाना है कुछ सोच कर हल सुझाना है जो हैं सक्षम उनको आगे आना है सब मिल जुल कर हाथ बढ़ाना है सही सूचना सर्वत्र हमें फैलाना…

  • मैं और मेरा गाँव

    मैं और मेरा गाँव

    कविता का कवि लॉकडाउन में दिल्ली में है और वह उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में स्थित अपने गाँव को याद कर रहा है जाने की सोचता हूंँ जहाँ, रहते हैं मेरे लोग वहाँ, खेतों की हरियाली देखि, पानी के तालाब यहाँ, गाय माता के सब छूते पांव, वही तो है मेरा गांव। अजब गजब…

  • अघोषित युद्ध

    अघोषित युद्ध

    यह कविता उन योद्धओं को समर्पित है जो अघोषित युद्ध लड रहे हैं और कोरोना को मिटाने हेतु कृतसंकल्प हैं। पूरा देश लड़़ रहा कोरोना से अघोषित युद्ध देशवासियों मे जोश हैं लडने की भावना है शुद्ध सारे नागरिक एकजुट हैं कोई नहीं है गुट देश प्रेम की भावना अत्यंत अद्भुत इस संकट के समय…

  • कोरोना को हराये

    कोरोना को हराये

    मुझे मेरे हिन्दू होने पर नाज है तुझे तेरे मुस्लिम होने पर नाज है लेकिन राम मेरा भी मुझसे नाराज है और खुदा तेरा भी तुझसे नाराज है पाप मैंने भी किए होंगे कभी गुनाह तूने भी किए हों शायद कभी इंसानियत को खोने की सजा शायद मालिक हमको दे रहा है ना राम मुझे…

  • कर्तव्य निभाएं

    कर्तव्य निभाएं

    कोरोना के इस समय में आओ अपना कर्तव्य निभाएं, कुछ खुद समझ करें और कुछ औरों को भी समझाएं। न निकलें स्वयं वेबजह न किसी ओर को भी बुलाएं, कभी निकले बहुत जरूरी तो याद रहे सामाजिक दूरी सदा बनाएं। हाथ साबुन से बार बार धोएं और अन्यों को भी याद कराएं, मास्क से ढके…

  • हंस रही थी जिंदगी

    हंस रही थी जिंदगी

    कोरोना से जीतने के लिए शीला झाला ‘अविशा’ का संदेश इस कविता में पढ़ें। हंस रही थी जिंदगी आंगन और गलियों में खिल रहे थे फूल नवयौवन से बगिया की कलियों मे आ गया पिशाच अकस्मात जिसका नाम था कोरोना निवेदन है आपसे आप लापरवाही करो ना निबोध जीवों की पीड़ा आज समझ है आई…

  • अब रुक जाओ, हे! इन्द्र प्रभु

    अब रुक जाओ, हे! इन्द्र प्रभु

    दुनिया लूट रही कृषकों को अब और ना लूटो आप प्रभु देश ये चलता कृषियों से है अब रुक जाओ हे इन्द्र प्रभु। फसल कट रही खेतों में है हर अन्न में बसती जान प्रभु अभी ना बरसों गर्जन करके अब रुक जाओ हे इन्द्र प्रभु। इस कोरोना से दुःखी सभी और दुनिया हुई बेहाल…