साकेत हिन्द लिखित कुछ दोहे

दिखावा बहुत हो चुका, बढ़ गया ताम-झाम।।सत्य पुरुष तो हैं अब, सदा भरोसे राम।। अधम कार्य हम करते, कहें आया कलयुग।अपनी गलती मानकर, कर लो सुंदर यह युग।। चोरी गुस्सा छल अहम, ईर्ष्या गरम मिजाज।सब इंसानी फितरत है, दिल पर…

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