बिसरते नहीं हैं

कलमकार अमित चौधरी भी पुरानी यादों की ही कुछ झलकियां इस कविता दर्शाईं हैं। आइए हम भी अपनी कुछ यादें इस कविता को पढ़ जीवंत करते हैं। बिसरते नहीं है, दिन-रात मेरेबचपन की बातें, खेल-खिलौनेंखेलते फिरते, साँझ-सवेरे।अम्मा का आँचल, ममता…

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