Tag: कलमकार- आमोद शुक्ल

  • सब कुछ एक व्यापार है

    सब कुछ एक व्यापार है

    सब कुछ एक व्यापार हैं सौदे को तैयार सब के बीच दलाल है क्रय विक्रय को तैयार सत्य बलि चढ़ जाता है असत्य खिलखिलाता है बातों में उलझाता है आगे बढ़ जाता है इस मंडी में भगवान बेचे जाते हैं रूप अलग-अलग मगर बिक जाते हैं इंसान भी बिकने को है तैयार बस एक बोली…