मैं मजदूर हूँ
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आज हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा है। लोगों को घर में ही स्वयं को कैद होने और अपनो से दूर रहने को विवश होना पड़ा है। आज इस महामारी से अपने देश में अगर…
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May 19, 2020
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आज हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा है। लोगों को घर में ही स्वयं को कैद होने और अपनो से दूर रहने को विवश होना पड़ा है। आज इस महामारी से अपने देश में अगर…
सुनी पड़ी गई सड़के सभी, और पड़ गई सुनी गलियां। कोरोना की मार है ऐसी, घर में दुबकी सारी दुनिया। मिलना-जुलना अब होता कम ही, होती ना अपनों की गलबहियाँ। हैंड-शेक से भला नमस्ते लगता अब तो, जब भी मिलते…
रीति-रिवाजों और परम्पराओं की संवाहक माँ,घर एक संस्था तो इस संस्था की संचालक माँ।ऊंच-नीच, भेदभाव रहित, सबको ही मिले और बराबर,आशा और विश्वास की केंद्र, ऐसी एक अभिभावक माँ। माँ का साथ तो रीति-रिवाज़ और परम्पराएं हैं,गर साथ नही तो…