सलाम कोरोना वॉरियर्स

महामारी का दौर है सब घर में ही करो विश्राम,बाहर घूम रहा है कोरोना, है बाहर जाना हराम,मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा सब ताले में बंदघर में बैठकर ही भजो, सभी अपने अपने राम।नर सेवा में लगे हुए वो नरवीर संभाल…

0 Comments

मजबूर हो गए करने को पलायन

मन में पीड़ा इतनी है, जितना बड़ा है रत्नाकर।यह सोच कर निकल पड़े, सुकून मिलेगा घर जाकर। कितनी दूर पैदल चलेंगे, वो हैं निरेहाल।चेहरे से स्मित है गायब, हालात है खस्ताहाल। एक बीमारी ऐसी आई मानो वह है डायन।श्रम साधक…

0 Comments

कोरोना के योद्धाओं को प्रणाम करता हूँ

कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। लड़ रहा विश्व, आज जिस त्रासदी से , आगे आएं, इन मनुज अवतारों की, भूमिका को सलाम करता हूँ। कोरोना के योद्धाओं को, मैं प्रणाम करता हूँ। उन डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, सफाई…

0 Comments

दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए

दीवारें नफरतों की गिरा दीजिए, किसी रोते हुए को हसा दीजिए। जीना ना हो जाये दूभर कहीं, जख्मों को ना इतनी हवा दीजिए। मुसीबत में मदद का हाथ बढाकर, उनके दुखों को थोड़ा गला दीजिए। वह अभागा रातभर सोया नहीं,…

0 Comments

आदमी तन्हा है

इस दूनिया की भीड़ में आज आदमी तन्हा है । जो प्रकाश दे जग में वो सूरज आज तन्हा हैं। जो खेतों में धान निकाले वो अन्नदाता आज तन्हा हैं। जो औरों के दर्द दूर करे वो भगवान आज तन्हा…

0 Comments

कुछ वक़्त अब

कुछ वक़्त अब तो ठहर घर में आख़िर क्या है, जान से बढ़कर और इस दुनिया में रखा क्या है, जिन बन्द पेटियों में तुम शराब लाते थे, हां वही है जो अब उनमें लाश आ रहे हैं, महज़ खेल…

0 Comments

मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

  हँसते मुस्कराते रहे चेहरे, आज वो बिल्कुल उदास हैं। रात में मुश्किल से जो रुकते, चारों पहर ही पास हैं।। अचानक आई आपदा से निपटना हो रहा कठिन। शुक्र है परवरदिगार का, हमारी चल रही सांस है।। माथे पर…

0 Comments

जनता कर्फ्यू

जिंदगी जीने के लिए संगत का असर देखा संक्रमण का उन्माद देखा जो उनसे दूर रहा जिंदगी को ज्यादा जिया जिंदगी कोई खेल नहीं जिसे संक्रमण की आग में झोंक दिया जाए घर पर रहे परिवार का साथ जो परिवार…

0 Comments

कोरोना की जंग

अखिल विश्व में आतंक तुम्हारा कोरोना।क्या खूब फैलते जल्दी जल्दी कोरोना।। अति सूक्ष्म होकर भी करते काम बढ़े।जो भी सुनता हो जाते हैं कान खड़े।। जिस घर जाकर तुम भय फैलाते।सर्दी खाँसी बुखार उनमें दिख जाते।। बार बार हाथ धुलाई…

0 Comments

महाभारत जारी है

महाभारत अब भी, जारी है कोरोना के, महामारी से घर में रहोगे, सुरक्षित रहोगे बाहर निकले यदि, कोरोना का कहर, ढोओगे। लक्ष्मन रेखा को, पार ना करना अगर इससे निज्जात है, पाना है भारत को, यदि बचाना वैश्विक महामारी से…

0 Comments

माँ! आँचल में छुपा ले

माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले इस कोरोना महामारी से बचा ले माँ तुम मुझे अपनी आँचल में छुपा ले फैल गई कोरोना महामारी पूरी दुनिया में तेजी से अब देश सुरक्षित न रहा इस महामारी से फैल…

0 Comments

घर

सुबह हुई तो निकले घर से, शाम हुई तो लौटे घर, घर में रहकर घरवालों को भूल गया, ब्यस्त हुए सब, मस्त हुए सब, घर को, गैराजों में बदल दिया, बेड़ रोए, टीवी रोए, रोए घर का हर कोना, पूछ…

0 Comments

आई है अपनी बैसाखी

चलो मनाएँ कृषि पर्व को बैशाखी है सबकी साथी। कृषियों के दिल की है चाभी आई है अपनी बैसाखी।। खेतों में फ़सलें आ जाती आती है अपनी बैशाखी। बच्चे बूढ़े खुश हो कहते आई है अपनी बैशाखी।। खड़ी फसल को…

0 Comments

आज क्या खास लिखूं

समझ नही आ रहा मुझे आज क्या खास लिखूं। कुछ अलग लिखूं आज या रोज की तरह बकवास लिखूं। ये कोरोना के मौत का कहर लिखूं या चाइना द्वारा फैलाया जहर लिखूं। सेनेटाइजर से लोगों का प्यार लिखूं या मास्क…

0 Comments

याद करेगा हिंदुस्तान

कोरोना का ये अभियान रखना है देश का ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। घर में रहना हमारी शान यही हमारा है बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान। बच्चों बुजुर्गों का रखना मान पूरा रखना हमे इनका ध्यान याद करेगा हिंदुस्तान। कितनों ने झोंकी…

0 Comments

लॉकडाउन को निभाया है

लॉकडाउन को हमने कुछ इस तरह निभाया है ट्रेन की रफ्तार सी भाग रही थी ज़िन्दगी वक़्त ने उस पर पहरा बिठाया हैं अब वक्त हमने आत्मचिंतन के लिए पाया हैं सुबह उगते हुए सूरज के सामने अपना शीश झुकाया…

0 Comments

खालीपन

ट्रैफिक की जाम कभी करती थी परेशान लोगों की चिल्लाहट भरी भीड़ कानो को जाती थी चीर! आज ये सड़कें 'सहमी-सुनसान' कह रही मानो.. लगा दो मुझपर फिर वही 'जाम'। अब नहीं चिल्लाहट कोई, ना मुहल्ले में गरमाहट कोई.. गलिया…

0 Comments

अर्धरात्रि के समय

भौंकते श्वानों की हृदय विदारक आवाज़ सुनकर व बेबस जानवरो सहित भूख से ठोंकरे खाते बहुत सारे बेसहारों को देखकर मन सुन्न सा पड़ गया है अभी तक अनजान था मै इस बात से कि इनका पेट कैसे भरता होगा?…

0 Comments

बंद है भ्रमण

कुंडलिया छन्द के माध्यम से कवि कमल भारद्वाज एक व्यंग से लॉकडाउन को संबोधित कर रहें हैं। मियाँ घर पै डाल रहे, बैठे मिरच अचार।बीबी का भी बंद है, भ्रमण और संचार।भ्रमण और संचार, बंद सब कानाफूसी।घर में दोनों बंद,…

0 Comments

गृहिणी तो गृहिणी है

लॉकडाउन हुआ देखो देश में, सब को हुआ है अवकाश। गृहिणी को छुट्टी आज भी नहीं, वो कितनी होगी बदहवास।। वो खुश तो दिख रही है बहुत, सभी अपने जो है उसके पास। मन में कौन झाँके उसके, कौन बनाए…

1 Comment