Tag: कोरोना वायरस

  • कर्म योगी

    कर्म योगी

    यह कविता उस वर्ग को समर्पित है जो संकट की घडी मे.अपनी जान जोखिम मे डाल कर मानव को जीवनदान प्रदान करते हैं और समाज मे निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं मेरा आशय चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों से है चिकित्सा का पेशा है महान मानवता की सच्ची पहचान राष्ट्र की आन बान और…

  • कोरोना की सीख

    कोरोना की सीख

    संघर्षों में जीना, मुश्‍किलों से लड़ना निराशा का आशा में बदलना पतझड़ में वसंत मनाना कोरोना ने सिखाया है। घरों में रहना, अपनों संग जीना बड़ो से सीखना, छोटों को सिखाना दुखों को बाँटना खुशियों को फैलाना कोरोना ने सिखाया है । व्‍यस्‍तताओं का कम होना सुकून से जीना कम आवश्यकताओं में रहना खर्चों का…

  • ये कैसा वक़्त आया है

    ये कैसा वक़्त आया है

    ये कैसा वक़्त आया है कोरोना संग लाया है, मना सड़को पर जाना है बना घर कैदखाना है, अजब अदृश्य दुश्मन है इसे मिलकर हराना है, रखकर हौसला हिम्मत हमें जंग जीत जाना है, सुरक्षित स्वमं को रखकर हमें सबको बचाना है ये ऐसी रेस है जिसमें ठहर कर जीत जाना है, ये मुश्किल दौर…

  • जानने पर यही सोचेंगे

    जानने पर यही सोचेंगे

    चीत्कार व सिसकियों के बीच में कुछेक किलकारियां भी सुनाई दे रही है जिन्हे पता ही नहीं है कि आधुनकि दुनिया में कोरोना वायरस तो प्राणों को लील ही रही है लेकिन कितने अपने भी है, जो सांप बिच्छू बनकर अपनों को ही डंक मार रहे है यथा बलात्कार, हत्या खून खराबा चोरी, छिनैती, अपहरण…?…

  • आदमी

    आदमी

    अपने ही बनाए जाल में, फँस रहा है आदमी। अपनों को ही नाग बनकर, डस रहा है आदमी। प्रकृति को हानि पहुँचाकर भूल रहा है मतवाला, अपनी ही सांसों पे शिकंजा कस रहा है आदमी। भौतिक सुख के पीछे ही भागता रहा तमाम उम्र, आज उन्हीं संसाधनों में झुलस रहा है आदमी। एकाधिकार की चाह…

  • पृथ्वी के घाव भर रहे हैं

    पृथ्वी के घाव भर रहे हैं

    पृथ्वी के घाव भर रहे हैंजी हाँसही सुना, आपनेपृथ्वी के घाव भर रहे हैंहाँ, वही घावजो उसे मनुष्य ने दिए थेअपनी अनगिनत महत्वाकांक्षाओं की तृप्ति के लिएअपनी अपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति के लिएअपने निर्मम स्वार्थ की सिद्धि के लिएअपनी बेशर्म लिप्साओं के वशीभूत होकरआज जब मानव घरों में कैद हैदर्द से कराह रहा हैऔर उसके…

  • सब कुछ एक व्यापार है

    सब कुछ एक व्यापार है

    सब कुछ एक व्यापार हैं सौदे को तैयार सब के बीच दलाल है क्रय विक्रय को तैयार सत्य बलि चढ़ जाता है असत्य खिलखिलाता है बातों में उलझाता है आगे बढ़ जाता है इस मंडी में भगवान बेचे जाते हैं रूप अलग-अलग मगर बिक जाते हैं इंसान भी बिकने को है तैयार बस एक बोली…

  • काश! मानव समझ सकते

    काश! मानव समझ सकते

    आज सारा देश, कोरोना के कारण है, ख़ामोश। सहम सा गया है, प्रत्येक मानव का दिल वजह सिर्फ मानव और मानव की अभिलाषा। कभी वृक्षों को काट बनाते है, होटल, मकान, फैक्टरी तो कभी मासूम पशु-पक्षी को मार कर खाते है, चाव से। हजारों अनगिनत कार्य है ऐसे जो है प्रकृति के विपरीत, पर मानव…

  • जीने की चाहत

    जीने की चाहत

    तुम्हारी जीने की चाहत देखकर अच्छा लगा, तुम्हरा घर में यू डर कर कैद हो जाना अच्छा लगा, खुद को खुदा समझने वाले मौत की आहट सुनकर ही डर गए, तुम्हारा खुद को मर्द कहने पर थोड़ा भद्दा लगा, इंसानियत भी तुम में कहा जिंदा है अब जो तुम इंसान हो, मगर उनका दूसरो के…

  • भारत जाग… चीनी वस्तु परित्याग

    भारत जाग… चीनी वस्तु परित्याग

    अब वक्त की है यही पुकार, भारत जाग, भारत जाग। लोभ लिप्सा में आकर जिसने विश्व को कर दिया बीमार। जिसकी धन लिप्सा ने इतने जख्म दिये धरती पर यार। जो कर रहा मानव जीवन का सौदा और अपना बढ़ाये व्यापार। बूढ़े मरते, बच्चे मरते, तड़प रहा है सारा जहान। अब यह समय आ गया…

  • कोरोना वायरस से सीखें जीवन के बहुमूल्य सबक

    कोरोना वायरस से सीखें जीवन के बहुमूल्य सबक

    पूरा विश्व कोरोना वायरस के कारण कठिन समय से गुजर रहा है। क्षेत्रों, राज्यों की सीमाएं बंद, स्कूल-कॉलेज बंद, यात्रा बंद और हम सभी अपने अपने घरों में बंद। भोजन, पानी अन्य साधनो की कमी, कोरोना ग्रसित लोगों की बढ़ती संख्या, सम्बंधित खबरें, ये सभी घर के अंदर बैठे व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक प्रताड़ित…

  • वो भी दिन थे

    वो भी दिन थे

    वो भी दिन थेक्या फिर से वो दिन आएगेंन हम यूँ ही घरों में रह जाएंगे।। वो भी दिन थेक्या फिर से वो दिन आएँगेअपनो से कभी हाथों में हाथ,कंधा में कंधा मिला के चल पाएँगे।। वो भी दिन थेक्या फिर से वो दिन आएंगेरोजाना जैसे जीते थेजिंदिगी वैसे फिर से जी पाएँगे।। वो भी…

  • ये सिरफिरे

    ये सिरफिरे

    कोरोना रक्षक के हौसलों को तोड़ते ये सिरफिरे।देश के लिए नासूर बनते जाते ये सिरफिरे,इनकी कोई जाति नहीं, इनका कोई धर्म नहीं,जाति धर्म के नाम पर धब्बा लगाते ये सिरफिरे।दवा इलाज का बचाव का ईनाम ईट पत्थरों से देते ये सिरफिरे।किसी देश के नाम पर बदनुमा दाग है ये सिरफिरे।इन्हें तहज़ीब, शिक्षा, धर्म की कोई…

  • रूहों के ज़ालिम तुझे हुआ क्या है?

    रूहों के ज़ालिम तुझे हुआ क्या है?

    आज महामारी के दौरान जबकि सभी नागरिक अपने घरों में क़ैद है और कुछ ना कुछ सुकून से है और जी रहे है और वही दूसरी तरफ देश की पुलिस,डॉक्टर,समाज सेवी आदि सुधि जन अनवरत सेवा भाव में लगकर कितनों की ज़िन्दगी बचा रहे है और अपने ही परिवार से विमुख होकर अपनी ज़िंदगी को…

  • कोरोना के बाद

    कोरोना के बाद

    कोरोना काल के बादऐसा कुछ हो जाएगा।आपस मे एक दूजे सेमिलने से कतराएंगे।सामाजिक कार्यक्रम भीअब बन्द हो जाएंगे।गली मोहल्ले बाजारों मेंअब भीड़ न हो पाएगी।होली दीवाली ईद सारेघर बैठ के ही मनाएंगे।ज़िन्दगी है जनाबछोड़ कर चली जायेगी ।मेज़ पर होगी तस्वीर कुर्सी खाली रह जायेगी ।हर इंसान पट्टी मुंह बांधडाकू सा नजर आएगा।सर्दी जुकाम बुखार…

  • दो गज की दूरी

    दो गज की दूरी

    बात है जरूरी बताना भी है जरूरीबना लो दो गज की दूरीरिस्ते है जरूरी मत बढाओ मन कि दूरी बना लो दो गज की दूरीडकोई बात हो मजबूरीनही जाना है जरूरीये जहान भी जरूरी ये जान भी जरूरी बना लो दो गज की दूरीअफवाहो को मत फैलाओ तुमबिना वजह बाहर मत जाओ तुमसमाजिक दूरी भी…

  • प्रकृति शक्ति- सौम्य रूपा

    प्रकृति शक्ति- सौम्य रूपा

    हे प्रकृति शक्ति-सौम्य रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा नमन! शमन अपनी शक्ति रौद्र रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा नमन! त्राहि त्राहि मचा हुआ है जगत में,विनाश हो रहा है जगत का शमन अपनी शक्ति रौद्र रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा नमन! गलती हुई तेरे इस नादान बालक से, अब क्षमा कर दे माँ! कष्ठ निवारण…

  • कैसी लीला तेरी भगवन

    कैसी लीला तेरी भगवन

    ये कैसी लीला तेरी भगवन, कैसी ये घडी आई है।बेबस असहाय लगता मानव, कैसी ये महामारी छाई है।। जहाँ हैं वहीं रहने को, लोग हो गए हैं मजबूर।‘कोरोना” ने अपनों को, अपनों से भी कर दिया है दूर।। सर्वशक्तिमान का दंभ भी, चकनाचूर हो रहा है।त्राहिमाम कर रहे, रोज हजारों मौत की नींद सो रहा…

  • कलयुगी कोरोना

    कलयुगी कोरोना

    हे कलयुग! तुम्हारे राज़ में सभी कलयुगी क्यों है? तुम्हे नहीं पता? तब तो, खेदजनक बात है! हमारे ही बुजुर्गों ने ही तो कहा था! अन्याय होगा!अधर्म होगा! नहीं पता तुम्हे? बताता हूं, फिर सुनो!! लोग बाप पर हाथ उठाते डरेंगे नहीं मां को पीड़ा देने से हिचकेंगे नहीं जब परिवार, घर, समाज, गांव व…

  • खुदा से पूछना है

    खुदा से पूछना है

    खुदा से पूछना है ये सब क्या माज़रा है इंसानों को अब इंसान से डर है। खुदा से पूछना है ये सब क्या नज़ारा है गलियों में सन्नटा और बंद हर घर है।। खुदा से पूछना है ताबीर क्या देखना चाहते है आप हम इंसानों का कि इंसानों में कितना डर है।। ख़ुदा से पूछना…