Tag: कोरोना वायरस
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तालाबंदी का समर्थन
सुनसान शहर हर गली वीरान हैं। कहाँ गए इंसान यह सोच पशु भी हैरान हैं।। कुदरत का यह कैसा कहर बरस रहा हैं। इंसान अब बाहर निकलने से भी डर रहा हैं।। बड़े-बड़े महल भी अब जेल लगने लगे हैं। बाजारों के नजारें अब श्मशान से लगने लगे हैं।। हालात अब बदल से रहे हैं।…
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वह वक्त आएगा
वह वक्त आएगा जब विनाश टलेगा मानवता जीतेगी और कोरोना भाग जाएगा । वह वक्त आएगा जब इस रास्ते के कांटे को सभी मिलजुल कर हटाएंगे और फिर से मानव प्रेम की माला बनाएंगे । वह वक्त आएगा जब कैद हुआ पंछी फिर आजादी मनाएगा और पंख फैलाकर आसमान में उड़ जाएगा । वह वक्त…
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रक्तबीज कोरोना महामारी
आओ सुनाऊं- तुम्हें कहानी ऐसे महा विनाश की, कोई देश बच ना सका, उस रक्तबीज कोरोना की ऐसी मार थी। आओ सुनाऊं- तुम्हें कहानी ऐसे महा विनाश की, छूने से ही फैल गया, एक देश से दूसरे देश गया। लाखों को ही मार गया। भय का कर, ऐसा संचार किया। जीवन पर ऐसा वार किया।…
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जीवन और संघर्ष
जीवन वैभव का नहींसंघर्षों का पथ होता हैजीवन के पथ परअगर कोई रोके तो मत रुको, बढ़ते रहोनिरंतर चलते रहो, सतत चलते रहोप्यार की रेत समेतउम्मीद और विश्वास की ऊर्जा लिएसमर्पण की इमारत खड़ी करते रहोजीवन के पथ पर चलते रहो। जीवन शांति का कुंज नहींअशांति का झुरमुट होता हैइस पथ पर शांत मन सेअपनी…
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थोड़ा घरों में रुक कर तो देखो
यह वक्त भी गुजर जाएगा,थोड़ा संभल कर तो देखो,यह समय भी खुशनुमा हो जाएगा,थोड़ा घरों में रुक कर तो देखो, यह जंग भी जीत जायेंगे,घरों में ठहर कर तो देखो,जंग से सब साथ निकल जायेंगे,थोड़ी सहायता करके तो देखो, इस युध्द में भी विजयी होंगे,थोड़ा सतर्क रहकर तो देखो,शत्रु भी यूँ ही सड़कों पर सड़…
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हे भगवान अंतर्यामी
हे राम दूत चले आओ पवन की चालहरो जगत संकट रूप धरो विकरालमाँ अंजनी के पुत्र केसरी नंदन हनुमानकरत करत विनती हुए हम बेहालहे राम दूत चले आओ पवन की चाल हे प्रभु सुमिरन करे दिन-रात तुम्हारापड़ी विपदा ध्यान करो प्रभु जी हमारारोग नाश सब हरो दूर करो जगत पीराहे अंजनी पुत्र हनुमत बल बीरासंपूर्ण…
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करोना रे करोना
करोना रे करोना ।तुम इससे मत डरो ना ।हर पल हाथ धोओ ना।ता पीछे काम दूजा करो ना। घर से तुम मत निकलो ना।घर में ही तुम रूको ना।छुआ छूत से बचो ना।खुद का जीवन बचाओ ना। सोशल डिस्टेनशिंग अपनाओ ना।देश हित में कदम बढाओ ना।मिला है तुमको यह अमूल्य समय।परिवारों के साथ बिताओ ना।…
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बहुत दिन हुए
आपसे मिले बहुत दिन हुए,जीवन रहा तो हम सदा की तरह मिलतें रहेगें.अभी कोरोना संकट काल चल रहा है,मिलना जुलना मुहाल हुआ है.हमें वो सब बातें याद है, भूला कुछ नहीं,जब मिलेगें तो सारे शिकवे गिले दूर होगें.बहुत दिन हुए विद्यालय गये,साथी शिक्षकों से मिले, राष्ट्र निर्माण में एकजुट हुए.बहुत दिन हुए घर से विद्यालय…
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अभी वक्त है
अभी वक्त है हमलोगों को सम्भल जाना है, घर में ही रहकर कोरोना को हराना है अपने देश से भगाना है! इस माहौल में घर से कहीं बाहर न जाना है हमलोगों को लोक-डाउन का पालन करना है, घर में ही सुरक्षित रहना है सोशल-डिस्टेंस बनाए रखना है! अभी वक्त है हमलोगों को सम्भल जाना…
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लक्ष्मण रेखा नहीं लांघना है
इस महामारी से दुनिया दंग हैमानवता को बचाने का जंग है लॉकडाउन में नहीं घूमना है कोरोना के कड़ी को तोड़ना है लक्ष्मण रेखा नहीं पार करना है बाहर रावण रूपी बैठा कोरोना हैपरिवार संग समय बिताना है भूल कर भी बाहर नहीं जाना है सामाजिक दूरीयों से डरेगा कोरोना भीड़ न देखकर निराश होगा…
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सम्भले रहो
एक विपदा आई हैसम्भले रहो, सम्भले रहोबैठ कर देखो तमाशा हो रहा है जो, संसार मेंपर करना कुछ भी नहींयदि, करना है तो बस ये करोकेवल अपनी ‘खटिया’ से चिपके रहो, चिपके रहोहो कर चुपचाप देखोटी. वी. पर सबकी बात देखोसमझो और समझाओअऊर भईया! और कोरोना को दूर भगाओ.. – मोहित पाण्डेय
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कोरोना आया है लॉकडाउन स्वरूपा
ऐ! प्रकृति प्रदत्त चीजो से इंशा, मत करो खिलवाड़ तुमरौद्र सा तेवर जागेगा जब, क्या सह पाओगे दहाड़ तुम? युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी“मां” बन पोशी अपने अंचल में, सदा निभाई संग भी सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भीक्रिसमस होली राखी संग दिया, ईद और दिवाली भी वक्त…
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तो क्या
माना विद्यालय बंद हैतो क्या अध्ययन, अध्यापन सब बंद रहेगा?माना सड़क पर नहीं जाना हैतो क्या हम ऐसे ही घूमते रहेगे?माना कि कुछ राष्ट्र द्रोही पत्थर फेंक रहे हैंतो क्या हम राष्ट्र धर्म छोड़ देगें?माना कि आवागमन बंद हैतो क्या पैदल भूखे प्यासे चल देना ठीक है?माना कि विश्व विपदा बहुत ही बड़ी हैतो क्या…
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नया इतिहास रचाना है
कलमकार उमा पाटनी कोरोना को हराने की बात अपनी पंक्तियों में लिखती है। उनका कहना है कि हमें ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे हमारी जीत हो और यह कदम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाए। जी हाँ सो जाने दो उसे हमेशा के लिएगहरी नींद कि उठ न पाये फिर कभी वोकोई आहट नहीं,…
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योजना
हमारी योजनाएं होनी चाहिए इस प्रकृति के संरक्षण के लिए, सभी प्राणियों के हित के लिए और विपत्तियों/महामारी से जीतने के लिए। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी की यह कविता पढें जिसमें वे हर क्षेत्र के लिए एक नई और दूरदर्शी योजना की पैरवी कर रहे हैं। चलो अब फिर से योजना बनाते हैं, सारे…
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संक्रमण का अंधेरा
रोशनी से जागतीउम्मीदों की किरणअंधेरों को होतीउजालों की फिक्रसूरज हैचाँद हैबिजली हैइनमें स्वयं काप्रकाश होताये स्वयं जलतेदिये में रोशनी होतीमगर जलाना पड़तासब मिलकर दीप जलाएंगेधरती परकरोड़ो दीप जगमगाएंगेऔऱ ये बताएंगेसंक्रमण के अंधेरों कोएकता के उजाले सेदूर करकेस्वस्थ जीवन कोदूरियां बनाकरदेखा जा सकतापाया जा सकता। ~ संजय वर्मा ‘दृष्टि’
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खतरे से दूरी, मास्क जरुरी
खतरे से दूरी मास्क जरूरी,नहीं ये मजबूरी, जीवन के लिए जरूरी।नहीं मिलती दवाई, संयम से इसकी विदाई।अब तो समझो भाई, बिमारी ने रफ्तार बढाई।घर में रहों सुरक्षित रहों,खूद बचों, परिवार को बचाओं।जीवन दो चार माह की नहीं,मानों यह बात सबकी सही।जीवन की धारा कभी सीधी तो कभी उल्टी है बहती,धैर्य, संयम से रहे यही कहती।कभी…
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प्रकोप प्रकृति का
गुनाह तोह पासपोर्ट का था,दरबदर राशन कार्ड हो गए। प्रकृति के इस भूचाल ने हम,सभी को सबक सीखा गए। दुरपयोग करने की सजा हमसबको दे दिए गए। मंदिर-मस्जिद की जरूरत नहीं,शिक्षा, चिकित्सा के महत्व को बढ़ाये गए। नए दुश्मन के आने से जरूरतमंदो,से मुलाक़ात करवा दिये गए। परिवार के महत्ता को एक दूसरे से,रूबरू करवा…
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समय का जादू
जादू की छड़ी जब वक्त कीघूमती है, तोसब कुछ ऐसे पलट जाता है,जैसे-कदम हैं रुके सेऔर धरती चल रही है,आसमां है झुका साऔर हम उठ रहे हैं,सूरज है शीतल साऔर चांद तप रहा है,पशु-पक्षी हैं उन्मुक्त सेऔर हम कैद हो रहे हैं।परंतु यह क्या?वक्त ने अपनी जादूई छड़ी घुमाई है।तभी तोहम हैं रुके हुए औरवक्त…