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मुक्तक व क्षणिकाएँ
हिन्दी बोल इंडिया के पाठक कई क्षणिकाएँ प्रस्तुत करतें हैं, उनमें से कुछ इस पृष्ठ पर संकलित की गई हैं। मैंने परिंदों की जिद्द को उड़ते देखा हैकोशिश करने वालों को आगे बढ़ते देखा हैमैंने मांझी की जिद्द को पहाड़ तोड़ते देखा हैसपने पूरे करने का अगर इरादा कर लियातो मैंने भी लोगों को आसमां…