राष्ट्रकवि दिनकर जी

उदित हुआ वह दिनकर की किरणों सागंगा के आंचल मे पल कर, गाँवो की गलियों मे बढ़ कर,वह नुनुआ जैसे जैसे बढ़ता है हिन्दी का रंग उस पर चढ़ता हैहिंदी को हथियार बना कर भारत से वह कहता है, पुनः…

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