कोरोना और भारत

पूरे विश्व का कातिल चीन, मानवता का हत्यारा हैकरने विनाश दुनिया का वायरस ये बनाया हैभूलाता रहा विश्व अब तक चीन की हर नादानी कोपर अब तो मिटना है कोरोना संग चीन की हर निशानी कोकर भ्रमण विदेश का भारत…

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दीप जलाएं

दीप जलाएं, शंख बजाएं, कोरोना को दूर भगाएं। घर पर रहे, करें न मनमानी, आंगन को बुहारें, फूल व पौधों को दें पानी, हर क्यारी में रंग रंग के सुन्दर सुन्दर फूल खिलाएं। दीप जलाएं शंख बजाएं, कोरोना को दूर…

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बात सिर्फ दिए जलाने की नहीं

बात सिर्फ दिए जलाने की नहीं, अखंड एकता दिखाने की है। बात सिर्फ घर प्रकाशमय करने की नहीं, माँ भारती को मनाने की है। बात सिर्फ औपचारिकता निभाने की नहीं, हम सब की आस्था दिखाने की है। बात सिर्फ एक…

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भाग कोरोना भाग

कोरोना की जात नहीं, कोरोना की कोई पात नहीं, जात- पात विहीन कोरोना, जिसका कोई धरम नहीं, भाग कोरोना भाग। कोरोना मानव नहीं, कोरोना कोई प्राणी नहीं, बस केवल है वायरस कोरोना, वायरस का वजूद नहीं, भाग कोरोना भाग। कोरोना…

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एक दिया जलाना है

कोरोना को हराना है हर देहरी दरवाज़े पर एक दिया जलाना है, दिव्यपुंज से प्रकाशित नया सवेरा लाना है। कोरोना को हराना है।। स्याह अमावस की रात को दीप क्रमिका से सजा कर नया सवेरा लाना है। एक दिया जलाना…

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जगमगाया हिन्दुस्तान

जगमगाया हिन्दुस्तान, देवलोक है परेशान, ये ये जगमग ज्योति कैसी है, ये जगमग ज्योति कैसी है? क्या विश्वगुरु भारत अब जाग गया है, कोरोना जैसा रोग क्या भाग गया है, कैसी ये शंख ध्वनि, कैसा नाद है, सारा विश्व देख…

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शुक्रगुज़ार हैं प्रधानमंत्री जी के

सच कहूँ जब मैंने भी सबकी भांति सुना दीपक जलाना है तो लगा ठीक है अच्छा है इसी बहाने बिन त्यौहार त्यौहार मना लेंगे उत्सुकता जरूर थी कि इस अजीबोगरीब माहौल में आज कुछ अलग सा होगा सकारात्मक भाव लिए…

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एक दिया

इस महामारी के अंधकार की लड़ाई में आशा का एक दीपक यूं ही जलाए रहना हैं हमें आपको हम सबको देश का साथ देना हैं। मन के सारे अंधकार को मिटाकर एक दिया जलाए रखना है दौर नहीं हैं ये…

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देखा मिसाल दुनिया ने

संकल्प, इच्छाशक्ति की राशि विशाल दुनिया ने एकता के हिंद की, देखा मिसाल दुनिया ने विश्वास की परिधि ने हर मन को था घेरा हुआ लग रहा था रात में कि, जैसे सवेरा हुआ था हर तरफ प्रकाशमान दीप इतने…

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अंधकार से प्रकाश की ओर

दीप जलाकर हमने दे दिया एकता का संदेश, सबको दिखलाया सदियों से महान भारत देश। अचानक इस विपत्ति का हम करेंगे मुकाबला, एक रहेंगे सदा, हम अकबर डेविड या सुरेश।। पूरी दुनिया को हमने एकता का पाठ पढ़ाया, वसुधैव कुटुंबकम…

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दीप हम जलाएंगे

दीप हम जलाएंगे, अंधकार निराशा को हम मिटाएंगे मन में जीत की आशा जागयेंगे, कोरोना को हराएंगे जाति-धर्म से ऊपर उठ कर, एकता को दिखाएंगे राजनीति से हट कर, हम राष्ट्रीय हित अपनाएंगे भारत के नागरिक का, कर्तव्य हम निभाएंगे…

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एक दीपक जला ऐसा भी

एक दीपक जला ऐसा भी धरा में इतिहास जिसे रखेगा याद सदा। हुआ हैं डामाडोल समस्त विश्व भारत तब भी जगमगा रहा था।। अरबों की संख्या लिए लिए दीप होगा विश्व पटल में अंकित यह। दिखी है फिर भारत की…

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मैं दीया हूँ

मैं दीया हूँ, उजाले का वंशधर , जब तक प्राण वर्तिका घोर तम से लडूँगा। मैं दीया हूँ, उम्मीद की निशानी हर नगर, हर गली निराशा को हरूँगा। मैं दीया हूँ स्वयं मौन का साथी विरक्ति में भी तुम्हारे अकेलापन…

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उम्मीद का दीया

एक सवाल कुछ यूँ पूछा पापा ने, क्यूँ मौन है आज कलम? क्या दर्द नही होता, इस शायरा को अब? कैसे बयां करूँ, अंतर्मन का युद्ध डरती हूँ कैसे संभालेगी, चार पंक्तियाँ मेरे देश का दर्द। कर हिम्मत करते हैं…

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आओ दीप जलाए

अंधकार का नाश हो सारे जग मे प्रकाश हो मिलकर ऐसा कदम बढा़यें आओ मिलकर दीप जलायें कोरोना का नाश हो निज शक्ति का अहशास हो भारत को हम विजयी बनायें आओ मिलकर दीप जलायें हिन्दू , मुस्लिम सिक्ख ,ईसाई…

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हम सभी

चलो जलाये मिलकर दीप ज्योति अंधकार मय कोरोना को दूर भगाये हम सभी अपने देश की एकता को दुनिया को दिखलाये हम सभी पांच अप्रैल रविवार रात्रि नौ बजे कुछ नौ मिनट निकालें हम सभी इस काल मयि कोरोना वायरस…

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आओ दीया जलाएँ

आओ मिलकर कोरोना रूपी वायरस को भगाएँ क्युं न आज फिर एकबार मिलकर हम सभी दीया जलाएँ ॥ त्यौहारों का मौसम है फिर से हम दीवाली मनाएँ दीपों की रोशनी से आज फिर घर सजाएँ ॥ आओ मिलकर फिर दीया…

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नव संकल्प… एक दीया

जला कर एक दीया विश्वास का, हमें मानव सभ्यता में, विजयी उद्घोष जगाना है। हम हैं भारत की संतान मिलकर कोरोना को हराना है। जलाकर दूसरा दीया प्रेम का हमें आपसी भाईचारा लाना है। धर्म से ऊपर है- मानवता। मिलकर…

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हम दीप जलाएं

गर दीप ही जलाना है हमको तो पहले प्रेम की बाती लाएं घी डालें उसमें राष्ट्र भक्ति का आओ मिल कर दीप जलाएं। जाति पांती वर्ग भेद भुलाकर हम हर मानव को गले लगाएं राष्ट्र में स्थापित हो समरसता आओ…

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आओ हम दीप जलाएं

आओ मिलकर हम दीप जलाएं, अन्धियारा को कहीं दूर भगाएं। खुद के अन्दर फिर राम जगाएं, फिर से हम एकता का स्वरुप दिखाएं। कोई जात नही, कोई धर्म नही, बस भारत के लोग कहलायें हम। इस विकट काल में एक…

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