वो नाचती थी

जीवन की,हकीकत से,अनजान। अपनी लय में,अपनी ताल में,हर बात से अनजान।वो नाचती थीसोचती थीनाचना ही जिंदगी है।गीत-लय-ताल ही बंदगी है।नाचना ही जिंदगी है।नहीं शायदनाचना ही जिंदगी नहीं है।इंसान हालात से नाच सकता है।मजबूरियों की,लंबी कतार पे नाच सकता है।लेकिन अपने…

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